जैसे जैसे लोग जागरूक हो रहे हैं वैसवैसे लोगों में टांगों में उभरने वाली नीले रंग की मकड़ीनुमा नसों को ले कर चिंता बढ़ रही है. जिस रफ्तार से हम लोग आरामतलबी व विलासितापूर्ण जीवनशैली को अपना रहे हैं उसी रफ्तार से हमारी टांगें वेरीकोस वेन्स की शिकार हो रही हैं. शुरुआती दिनों में हम लोग स्वभावतन इस को नकारते हैं, पर जब तकलीफ ज्यादा बढ़ जाती है तो इधरउधर बगैर सोचेसमझे परामर्श लेना शुरू कर देते हैं. इस तरह के नीमहकीमी इलाज का परिणाम टांगों में काला रंग व लाइलाज घाव के रूप में होता है.
कौन होते हैं शिकार?
सब से ज्यादा इस के शिकार दुकानदार व महिलाएं होती हैं. कंप्यूटर के सामने व औफिस में घंटों बैठने वाले लोग, पांचसितारा होटलों के स्वागतकक्ष, बड़ेबड़े शोरूमों में लंबे समय तक लगातार खड़े रहने वाले लोग वेरीकोस वेन्स के प्रकोप से बच नहीं पाते हैं. अगर आप पुलिस महकमे को लें तो ट्रैफिक पुलिस वाले व थाने में एफआईआर दर्ज करने वाले पुलिसकर्मी, पुलिस औफिस में फाइलों से जूझने वाले पुलिस वाले और तकनीकी प्रयोगशालाओं में कार्यरत वैज्ञानिक वेरीकोस वेन्स को निमंत्रण देते हुए दिखेंगे. आजकल यह समस्या शिक्षक समुदाय में तेजी से व्याप्त हो रही है. कहने का तात्पर्य यह है कि नियमित चलने की आदत को जिस ने अलविदा कहा और ज्यादा देर तक लगातार बैठने की आदत को जानेअनजाने या मजबूरी में गले लगाया, उस की टांगों में वेरीकोस वेन्स का देरसबेर प्रकट होना निश्चित है.
ये भी पढ़ें- कहीं बीमार न कर दे Monsoon, रखें इन बातों का खास ख्याल
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन