झुलसा देने वाली गरमी के बीच सभी को राहत का एहसास कराने वाले मानसून का इंतजार होता है. लेकिन इस मौसम के दौरान स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. इस का प्राथमिक कारण तापमान में होने वाला अचानक परिवर्तन है, जिस से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और फिर संक्रमण की चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है. इस के अतिरिक्त जीवाणु जैसे अनेक और्गेनिज्म गरम व उमसभरी स्थितियों में काफी तेजी से पनपने लगते हैं.
सामान्य मूत्र में किसी प्रकार के जर्म्स और बैक्टीरिया नहीं पाए जाते, लेकिन ये मलाशय के क्षेत्र में उपस्थित रहते हैं. यूरिनरी ट्रैक इन्फैक्शन यानी यूटीआई मूत्र प्रणाली में होने वाला जीवाणु संक्रमण है. मलाशय के आसपास के क्षेत्रों में उपस्थित बैक्टीरिया मानसून के दौरान काफी तेजी से पनप जाते हैं जो संक्रमण का कारण बनते हैं.
बैक्टीरिया जब मूत्राशय में पहुंच जाते हैं तब ये प्रदाहन का कारण बन जाते हैं, इस संक्रमण को सिस्टाइटिस कहते हैं. वहीं, जब ये किडनी में पहुंच कर प्रदाहन का कारण बनते हैं, तब इसे पाइलोनेफ्राइटिस कहा जाता है, इसे कहीं अधिक गंभीर समस्या माना जाता है. इस प्रकार का संक्रमण महिलाओं के अलावा पुरुषों में भी हो सकता है. हालांकि इस रोग की चपेट में आने की संभावना महिलाओं में अधिक होती है. इस का कारण शारीरिक संरचना की भिन्नता है. महिलाओं का मूत्रीय क्षेत्र पुरुषों की अपेक्षा छोटा होता है. महिलाएं बारबार संक्रमण की शिकायत करती हैं. बच्चे भी संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं, लेकिन उन में इस की संभावना कम होती है.
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