आधुनिक जीवनशैली का खामियाजा पुरुषों को अपने शुक्राणुओं की संख्या (स्पर्म काउंट) खो कर चुकाना पड़ रहा है. इससे उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित और स्पर्म की गुणवत्ता भी घटी है. ब्रिटेन में हुए एक अध्ययन में आधुनिक जीवनशैली के कारण पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर हो रहे नकारात्मक असर का खुलासा हुआ है.
अध्ययन से यह बेहद चिंताजनक आंकड़े सामने आये हैं कि आज से 50 साल पहले पुरुषों के एक मिलीलीटर सीमन में शुक्राणुओं की संख्या 11 करोड़ तीस लाख थी जो वर्ष 1988 में घटकर छह करोड़ बीस लाख रह गयी और आज यह मात्र चार करोड़ सत्तर लाख रह गयी है.
बढता तनाव, मोटापा, खराब लाइफस्टाइल और प्रदूषण संसार के मर्दों के लिए खतरे के बडें सबब साबित हो सकते हैं. यह बात पुरुषों के लिये किसी सदमें से कम नहीं है,लेकिन अगर स्थिती अब भी संभाली जा सकती है. अगर पुरुष अपनी आदतों में कुछ सुधार कर लें तो वे अवश्य ही पिता बनने के काबिल हो सकते हैं.
किसी भी तरह के नशे और माचो मैन बनने की चाह में ली जाने वाली दवाइयों के इस्तेमाल पर रोक लगाने, गलत खानपान, डाइट में बदलाव लाने, शरीर के तापमान को कम करने, कैफीन के कम इस्तेमाल और मोबाइल का इस्तेमाल कम से कम करने से शुक्राणुओं को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है और स्पर्म काउंट को बढ़ाया जा सकता है. इन उपायों को अपनाकर अच्छी मात्रा में उच्च गुणवत्ता वाले शुक्राणुओं को बनना संभव बनाया जा सकता है.
अत्यधिक लूब्रिकन्ट का उपयोग
अत्यधिक लूब्रिकन्ट के उपयोग से बचें, वे भी शुक्राणु की मौत का कारण बन सकता है.