53 साल के मशहूर सिंगर केके यानी कृष्ण कुमार कुन्नथ अब हमारे बीच नहीं हैं. कोलकाता कौन्सर्ट के दौरान वे थोड़ा असहज महसूस कर रहे थे. इस के बावजूद उन्होंने करीब घंटेभर के अपने शो को पूरा किया और कौन्सर्ट से होटल जाते हुए उन की तबीयत बिगड़ी और वे गिर पड़े.
अस्पताल ले जाए जाने पर डाक्टरों द्वारा उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. पुलिस को इंतजाम में किसी गड़बड़ी का शक था तो किसी ने इसे हार्ट अटैक की संभावना बताई, जबकि पोस्टमार्टम और औटोप्सी के अनुसार गायक की मौत के कारण के रूप में ‘मायोकार्डियल इंफार्कशन’ बताया गया.
ऐसी ही एक घटना मुंबई की पौश एरिया में 38 साल के एक व्यक्ति के साथ हुई. औफिस से घर लौटने पर उस की पत्नी और बेटी ने उस की घबराहट को देखा. उसे नीचे बैठा कर पानी दिया. पानी पीने से पहले उस का गिलास हाथ से गिर गया और वह बेहोश हो गया. तुरंत डाक्टर को बुलाया गया लेकिन तब तक उस की मौत हो चुकी थी. इस व्यक्ति के पीछे घरेलू हाउसवाइफ और 2 छोटीछोटी बेटियां बिना किसी सहारे के रह गईं.
मायोकार्डियल इंफार्कशन (एमआई) को आमतौर पर हार्ट अटैक कहा जाता है. जब हार्ट में ब्लड फ्लो कम होने लगता है या हार्ट की कोरोनरी आर्टरी बंद हो जाती है तब ऐसी अवस्था होती है. इस रोग में हृदय की धमनियों के भीतर एक प्लेक सा पदार्थ जमने लगता है जिस की वजह से ये धमनियां सिकुड़ने लगती हैं और हृदय तक खून का पहुंचना बंद हो जाता है.
क्या है अंतर
बहुत से लोग अकसर हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट को समानार्थी सम झ लेते हैं लेकिन इन दोनों स्थितियों में काफी अंतर होता है. कुछ लोग कार्डियक अरेस्ट का मतलब दिल का दौरा सम झ लेते हैं पर दिल का दौरा पड़ने का मतलब होता है हार्ट अटैक आना. दिल का दौरा तब होता है जब हृदय में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है और कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब मनुष्य का हृदय अचानक कार्य करना बंद कर देता है जिस से दिल का धड़कना भी अचानक बंद हो जाता है.
कार्डियक अरेस्ट हार्ट अटैक की तुलना में अधिक घातक होता है क्योंकि कार्डियक अरेस्ट में व्यक्ति को बचाने का समय बहुत कम मिल पाता है.
बनें जागरूक
इस बारे में मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हौस्पिटल के कार्डियोलौजिस्ट डा. प्रवीण कहाले कहते हैं, ‘‘दिल का दौरा (हार्ट अटैक) तब होता है जब हृदय की धमनियों यानी रक्त वाहिकाओं, जो हृदय की मांसपेशियों को पंप करने के लिए औक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति करती है, में से एक ब्लौक हो जाती है. हृदय मांसपेशी को उस का कार्य सुचारु रूप से कर पाने के लिए सब से जरूरी होता है रक्त, लेकिन धमनी के ब्लौक हो जाने पर वह नहीं मिल पाता है और अगर इस का इलाज समय पर नहीं किया गया तो पर्याप्त मात्रा में औक्सीजन न मिल पाने की वजह से हृदय मांसपेशी का कार्य बंद पड़ने लगता है. जब किसी व्यक्ति का हृदय रक्त पंप करना बंद कर देता है तब हृदय की गति रुक जाती है जिसे कार्डियक अरेस्ट कहते हैं.
‘‘यह व्यक्ति सामान्य रूप से सांस नहीं ले पाता है. वयस्कों में कार्डियक अरेस्ट बहुत बार दिल के दौरे की वजह से होता है. जब दिल का दौरा पड़ता है तब हृदय की धड़कन में खतरनाक अनियमितता आ जाती है जिस से कार्डियक अरेस्ट हो सकता है. कमजोर हृदय वाले लोगों को यह तकलीफ होती है यानी उन के हृदय की पंपिंग क्षमता (इजैक्शन फ्रैक्शन) बड़े पैमाने पर कम हो जाती है (35त्न से कम). इसे अचानक होने वाली ‘कार्डियक डैथ’ भी कहा जाता है.
दिल के दौरे के लक्षण
चैस्ट में बेचैनी : दिल के दौरों के ज्यादातर केसेस में चैस्ट के बीचोंबीच बेचैनी महसूस होती है जो कई मिनटों तक रहती है, फिर दूर होती है और फिर से होने लगती है. बेचैन कर देने वाला दबाव, छाती को निचोड़ा जा रहा हो ऐसा दर्द, छाती भरीभरी सी महसूस होना या छाती में दर्द होना आदि में से कुछ भी हो सकता है.
शरीर के दूसरे हिस्सों में बेचैनी : दोनों या किसी एक हाथ में, पीठ, गरदन, जबड़े या पेट में दर्द या बेचैनी होना.
सांस लेने में तकलीफ : छाती में बेचैनी के साथसाथ सांस लेने में तकलीफ होना दिल के दौरे का एक लक्षण हो सकता है. कई दूसरे लक्षण जिन्हें अधिकतर व्यक्ति सम झ नहीं पाते, इन में बहुत सारा पसीना निकलना, मतली या चक्कर आना शामिल हैं.
पुरुषों और महिलाओं में लक्षण कई बार अलगअलग हो सकते हैं, इसलिए यह भी जान लेना जरूरी है.
पुरुषों की तरह महिलाओं में भी दिल के दौरे का सब से प्रमुख लक्षण छाती में दर्द या बेचैनी होना है लेकिन इस के दूसरे लक्षण पुरुषों से अधिक महिलाओं में दिखाई पड़ते हैं जिन में, खासकर, सांस लेने में तकलीफ, मतली, उलटी होना, पीठ और जबड़े में दर्द आदि शामिल हैं.
कार्डियक अरेस्ट में अचानक दिल का काम करना बंद हो जाता है. कार्डियक अरेस्ट किसी लंबी या पुरानी बीमारी का हिस्सा नहीं है, इसलिए कार्डियक अरेस्ट को दिल से जुड़ी बीमारियों में सब से खतरनाक माना जाता है. लोग अकसर इसे दिल का दौरा पड़ना सम झते हैं. इस बारे में डा. प्रवीण कहते हैं कि इस के लक्षण को जानना बहुत जरूरी है.
कार्डियक अरेस्ट के लक्षण
व्यक्ति का अचानक होश खो देना और उसे हिलाने पर भी उस का कोई प्रतिक्रिया न देना.
सामान्य रूप से सांस न ले पाना.
अगर कार्डियक अरेस्ट के व्यक्ति का सिर उठा कर कम से कम 5 सैकंड्स तक देखते हैं तो पता चलेगा कि वह सामान्य तरीके से सांस नहीं ले पा रहा है.
क्या करें अचानक उपाय
कार्डियक अरेस्ट होते ही उस व्यक्ति को सुरक्षित स्थिति में रखें, उस की प्रतिक्रिया की जांच करें.
अगर उस की प्रतिक्रिया महसूस नहीं कर पा रहे हैं तो तुरंत मदद के लिए चिल्लाएं, अपने आसपास के
किसी व्यक्ति को अपने इमरजैंसी नंबर पर कौल करने के लिए कहें. इस के अलावा उस व्यक्ति को एईडी (औटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर) ले कर आने को कहें. उन्हें जल्दी करने के लिए कहें क्योंकि इस में समय बहुत महत्त्वपूर्ण होता है. यदि आप किसी ऐसे वयस्क के साथ अकेले हैं जिस में कार्डियक अरेस्ट के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो इमरजैंसी नंबर पर कौल करना सब से जरूरी होता है.
उस व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ, सिर्फ हांफ रहा है, सांस नहीं ले पा रहा है, तो कंप्रैशन के साथ सीपीआर देना शुरू करें.
हाई क्वालिटी सीपीआर देना शुरू करें, अपने हाथों को मिला कर छाती को बीचोंबीच रखें और छाती कम से कम दो इंच भीतर जाए, इस प्रकार दबाएं. एक मिनट में 100 से 120 बार दबाया जाना चाहिए. हर बार दबाए जाने के बाद छाती को उस की सामान्य स्थिति में आने दें.
एईडी का इस्तेमाल करें, जैसे ही एईडी आता है उसे शुरू करें और संकेतों का पालन करें.
सीपीआर देना जारी रखें. जब तक वह व्यक्ति सांस लेना या हिलना शुरू न कर दे या ईएमएस टीम सदस्य जैसा अधिक उन्नत प्रशिक्षण लिया हुआ कोई व्यक्ति जब तक वहां न पहुंचे, तब तक सीपीआर को जारी रखना पड़ता है.