मामला कानपुर देहात का है. राजू यादव और संगीता की गृहस्थी अच्छी चल रही थी। शादी के चार साल के भीतर ही उनके दो बेटे हुए. राजू ज़्यादा पढ़ा लिखा नहीं था मगर परिवार नियोजन के फायदे समझता था, लिहाजा दो बच्चों के बाद उसने परिवार को और ना बढ़ाने की मंशा से राजकीय चिकित्सालय में अपनी नसबंदी करवा ली. वह चाहता था कि अपनी छोटी सी नौकरी और पांच बीघा जमीन पर जो पैदावार होती है, उससे अपने दोनों बेटों की अच्छी परवरिश करेगा और उन्हें ऊंची शिक्षा दिलाएगा। यह 2006 की बात है.
वर्ष 2008 में राजू अपने बीवी बच्चों के साथ एक रिश्तेदार की शादी में शामिल होने के लिए बस से गोरखपुर जा रहा था. रास्ते में उसकी बस का एक ट्रक से भयानक एक्सीडेंट हुआ जिसमें बस के कई अन्य यात्रियों के साथ राजू की पत्नी और दोनों बेटों की भी मौत हो गयी.
इस एक्सीडेंट में राजू की दुनिया उजड़ गयी मगर राजू बच गया. पच्चीस दिन अस्पताल में रहने के बाद जब घर आया तो उसके चारों तरफ मायूसी थी.वह गहरी हताशा और अवसाद में था. माँ बाप और भाई बहन ने उसको बहुत सहारा दिया लेकिन अंदर से वह बहुत अकेला हो गया था. अपने दोनों बेटों की मासूम सूरतें उसकी आँखों के आगे नाचती थीं. पत्नी की आवाज कान में गूंजती थी.
तीन महीने बाद राजू ने दोबारा काम पर जाना शुरू किया।.काम और दोस्तों के बीच उसका दिल कुछ बहला। धीरे धीरे समय बीतता गया. अगले दस सालों में उसकी बहन की शादी हो गयी और छोटा भाई अपनी पत्नी-बच्चों को लेकर लखनऊ शिफ्ट हो गया. पिता के देहांत के बाद घर में सिर्फ राजू और उसकी माँ ही बचे. जब बूढी माँ की देखभाल के लिए घर में किसी औरत का होना ज़रूरी हो गया तब राजू पर दूसरी शादी का दबाव बढ़ने लगा. मगर राजू इसके लिए तैयार नहीं हो पा रहा था. दरअसल उसको डर था कि नसबंदी के कारण वह पति-धर्म नहीं निभा पाएगा। दूसरी पत्नी आएगी तो उसको बच्चे भी चाहिए होंगे, वह कैसे देगा?
2019 में उसने अपनी शादी ना करने की वजह अपने एक दोस्त से बतायी तो उसने राजू को डॉक्टर से मिल कर अपनी नसबंदी रिवर्स कराने की सलाह दी। राजू को आइडिया ही नहीं था कि नसबंदी रिवर्स भी हो सकती है। यानी वह फिर से बाप बनने के काबिल हो सकता है। उसने तुरंत डॉक्टर से संपर्क किया। डॉक्टर ने राजू को बताया कि नसबंदी को लेकर लोगों में जानकारी का अभाव है। इसको लेकर समाज में कई तरह की भ्रांतियां भी हैं। लोग समझते हैं कि नसबंदी के बाद पौरुष में कमी आ जाती है जबकि ऐसा नहीं है। नसबंदी से शारीरिक रिश्तों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता और मर्दानगी पहले जैसी ही बनी रहती है। इसके साथ ही नसबंदी को ख़त्म भी किया जा सकता है जिससे मर्द फिर से बच्चा पैदा करने लायक हो जाता है।
डॉक्टर ने रिवर्स ऑपरेशन करके राजू की नसबंदी के समय में कटी हुई नस के दोनों सिरों को फिर से जोड़ दिया। कुछ सलाह और दवाइयों के साथ तीन दिन बाद राजू की अस्पताल से छुट्टी हो गयी। अब वह बच्चा पैदा करने लायक था और शादी कर सकता था। वर्ष 2000 में राजू ने सुनीता नाम की महिला से शादी कर ली। आज इस युगल के पास एक बेटी है।
नसबंदी से ही जुड़ी बिहार की एक घटना है। बिहार के कैमूर जिले में डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही के चलते एक व्यक्ति की नसबंदी हो गई, जबकि वह हाइड्रोसिल का ऑपरेशन करवाने के लिए अस्पताल में भर्ती हुआ था। जब युवक को इस बारे में जानकारी मिली तो वह और उसका परिवार हैरान रह गया। इस संबंध में युवक के परिजनों ने चैनपुर पुलिस थाने में शिकायत भी दर्ज करवाई। बाद में रिवर्स ऑपरेशन के जरिये उसने नसबंदी ख़त्म करवाई।
नसबंदी भले आपने स्वयं करवाई हो या इस तरह की लापरवाही के कारण हुई हो, उसे रिवर्स किया जा सकता है। मगर इसकी जानकारी आमतौर पर लोगों को नहीं है। यूं तो भारत में  परिवार नियोजन का जिम्मा औरत के सिर ही होता है। वह चाहे अपनी नसबंदी करवाए, कॉपर टी लगवाए या दवाइयों के जरिये प्रेगनेंसी को रोके। लेकिन कई बार ये जिम्मा पुरुष उठाते हैं और अपनी नसबंदी करवा कर परिवार को बढ़ने नहीं देते, जैसे राजू ने करवाई। बीते दशकों में गांव-देहातों में कैंप लगा कर मेडिकल टीमें पुरुष नसबंदी करती थीं। आज भी कहीं कहीं ऐसे कैंप लगते हैं।
दिल्ली कैलाश कॉलोनी स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल की सीनियर डॉक्टर नीना बहल पुरुष नसबंदी और इसके रिवर्स ऑपरेशन के बारे में एक लम्बी बातचीत में बताती हैं कि पुरुष नसबंदी एक बहुत ही छोटा सा ऑपरेशन होता है, जिसे डॉक्टर सिर्फ 30 मिनट में ही पूरा कर देते हैं। इसके लिए मरीज को अस्पताल में भर्ती रहने की भी आवश्यकता नहीं होती है। ऑपरेशन के कुछ ही देर बाद वह अपने घर जा सकता है। इस प्रक्रिया को मेल स्टरलाइजेशन कहा जाता है। ऑपरेशन के बाद उस हिस्से में कुछ दिन तक हल्का दर्द और सूजन रह सकती है। पुरुष नसबंदी 100 फीसद तक असरदार होती है। लेकिन कुछ कारणों से यदि आप अपनी पुरानी स्थिति में लौटना चाहते है तो आपको पुनः एक ऑपरेशन करवाना होगा जिससे आप फिर प्रजनन के लायक हो सकते हैं।
डॉ. नीना बहल बताती हैं - नसबंदी के दौरान डॉक्टर टेस्टिकल्स से आपके प्राइवेट पार्ट तक स्पर्म्स को लेकर जाने वाली नस को काट देते हैं, जिसे वास डिफरेंस कहा जाता है। नसबंदी के रिवर्स ऑपरेशन में कटी हुई नस के दोनों सिरों को फिर से जोड़ दिया जाता है। इस तरह से एक बार फिर स्पर्म, वीर्य में मिलने लगते हैं और आप पुरुष अपनी पार्टनर को गर्भवती कर सकते हैं।
अगर किसी ने नसबंदी के ऑपरेशन को रिवर्स करने का मन बना ही लिया है तो इस बारे में कुछ बातें जान लेना जरूरी है। इस ऑपरेशन को करने के दो तरीके हैं। पहला तरीका है वैसोवैसोक्टमी, जिसमें डॉक्टर वास डिफरेंस के दोनों सिरों को एक साथ जोड़कर सिल देते हैं। इस तरह से एक बार फिर से वीर्य में स्पर्म शामिल होने लगते हैं। दूसरा तरीका  वैसोएपिडिडामोस्टमी है। इसमें डॉक्टर वास डिफरेंस को टेस्टिकल्स के पिछले हिस्से में एक छोटे से अंग के साथ जोड़ देते हैं। इसी अंग में स्पर्म स्टोर होते हैं। दूसरा तरीका, पहले तरीके से थोड़ा जटिल है। और डॉक्टर इस दूसरे तरीके को तभी चुनते हैं, जब डॉक्टर को लगे कि पहला तरीका आपके लिए कारगर नहीं होगा।

ऑपरेशन में कितना समय लगता है?

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