न्यू वर्ल्ड सिंड्रोम जैसा शब्द सुनने पर लगता है जैसे किसी बैक्टीरिया या वाइरस जनित खतरनाक रोग के बारे बात हो रही हो. लेकिन नहीं, न्यू वर्ल्ड सिंड्रोम दरअसल आपके लाइफस्टाइल और खानपान की खराब आदतों से उपजने वाली बीमारियों का एक संयोजन है. लाइफस्टाइल में आ रहे बदलाव, फास्ट फूड की लत और शारीरिक श्रम की कमी के चलते आज सत्तर फीसदी लोग न्यू वर्ल्ड सिंड्रोम से ग्रस्त हैं.

न्यू वर्ल्ड सिंड्रोम से प्रभावित लोग मोटापे, हाई ब्लड प्रेशर, एसीडिटी, सिरदर्द, डायबिटीज, हृदय रोग और चिड़चिड़ेपन के शिकार हो जाते हैं. देखने पर यह तमाम बीमारियां अलग-अलग लगती हैं, मगर ये सब एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं और एक के कारण दूसरी उत्पन्न होती है. बीमारियों का यह समूह न्यू वर्ल्ड सिंड्रोम कहलाता है और इसका मुख्य कारण है हमारा बदलता हुआ लाइफ स्टाइल और खानपान.

प्रतिस्पर्धा व काम का प्रेशर वाली नौकरियों के कारण आजकल लोग अपने खानपान पर ध्यान नहीं देते हैं. झटपट जिन्दगी और चटपट खाने के चक्कर में पौष्टिक चीजें हमारी जिन्दगी से कब छूमन्तर हो गयीं, हमें पता ही नहीं चला. आज कितने नौकरीपेशा लोग हैं जो सुबह ठीक से ब्रेकफास्ट नहीं करते हैं. क्या आप प्रतिदिन दोपहर के खाने में दाल, चावल, सब्जी, रोटी, सलाद, दही का सेवन करते हैं? शायद गिनती के लोग होंगे, जिनका जवाब ‘हां’ होगा. लंच टाइम पर किसी भी औफिस के सामने का नजारा देख लीजिए. बे्रडपकौड़े, समोसे, खस्ता कचौड़ी, मोमोज, पीजा, बर्गर के ठेलों पर आपको भीड़ जुटी दिखायी देती है. साफ है कि ठेलों पर भीड़ लगाये यह लोग अपने घर से टिफिन बौक्स लेकर नहीं आते हैं और इन अपौष्टिक चीजों से ही अपना पेट भरते हैं. अधिक तेल, मक्खन, पनीर और मैदे से बने यह तमाम फूड्स आपका पेट तो चटपट भर देते हैं, जुबान को भी स्वादिष्ट लगते हैं, मगर आपके शरीर में तमाम बीमारियों का कारण बन जाते हैं. इस प्रकार के खाने में मौजूद फैट, नमक, शुगर, कार्बोहाइड्रेट और परिष्कृत स्टार्च धीरे-धीरे आपके शरीर में जमा हो जाते हैं और मोटापे का कारण बनते हैं.

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