सेहत के लिए आयरन जरूरी है. कोविडकाल में लोगों को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं से गुजरना पड़ा है. ऐसे में जरूरी है कि स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाए और सही मात्रा में शरीर में आयरन की जरूरत पूरी की जाए.
आयरन हमारे शरीर के लिए एक अत्यावश्यक मिनरल है. इस की आवश्यकता शरीर को लाल रक्त कणिकाओं में पाए जाने वाले हीमोग्लोबीन के निर्माण के लिए होती है, जो शरीर के विभिन्न अंगों पर ऊतकों में औक्सीजन पहुंचाने का काम करता है. शरीर में आयरन की कमी से लाल रक्त कणिकाओं और हीमोग्लोबीन का निर्माण प्रभावित होता है. हीमोग्लोबीन का निर्माण प्रभावित होने से खून की कमी हो जाती है जिस से थोड़ा सा काम करने में ही थकान महसूस होने लगती है. ऐसी स्थिति में सीढि़यां चढ़ने में सांस फूलना, हृदय की धड़कनों का असामान्य हो जाना, सिरदर्द, एकाग्रता में कमी, मांसपेशियों में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
स्वस्थ बालों, त्वचा और नाखूनों के लिए भी आयरन जरूरी है. अगर गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी होती है तो समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ जाता है.
आयरन की कितनी मात्रा है जरूरी
आप को प्रतिदिन कितनी मात्रा में आयरन की आवश्यकता है, यह उम्र, लिंग और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है. नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों को आयरन की आवश्यकता अधिक होती है. एक तो उन का शरीर विकसित हो रहा होता है, दूसरा उन की इम्यूनिटी कमजोर होती है. इसलिए उन में इन्फैक्शन का खतरा अधिक होता है.
4-8 वर्ष के बच्चे के लिए
10 मिलिग्राम प्रतिदिन.
9-13 साल के बच्चे के लिए
8 मिलिग्राम प्रतिदिन.
14-50 वर्ष की महिलाओं के लिए
18 मिलिग्राम प्रतिदिन.
14-50 वर्ष के पुरुष के लिए
8 मिलिग्राम प्रतिदिन.
पुरुष और महिलाएं दोनों
गर्भवती महिलाओं को आयरन की अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है. इस दौरान महिलाओं को अपने भोजन में आयरन की मात्रा 10-20 मिलिग्राम प्रतिदिन के हिसाब से बढ़ा देनी चाहिए.
कोविड के 2 माह बाद आयरन होमियोस्टेसिस रह सकता है जिस का शरीर के अंगों पर असर होता है. ऐसी स्थिति में कई तरह का एनीमिया हो सकता है, इसलिए डाक्टर के निरंतर संपर्क में रहना जरूरी है. कोविड लंग्स में ही कई और जगहों पर अपने निशान छोड़ जाता है.
आयरन की मात्रा पर दें ध्यान
संतुलित भोजन लें जिस में मांस, अंडे, साबुत अनाज, सूखे मेवे, फल और हरी पत्तेदार सब्जियां भरपूर मात्रा में हों.
अगर किसी महिला को मासिकधर्म के दौरान रक्तस्राव अधिक हो तो तुरंत डाक्टर को दिखाएं क्योंकि इस से शरीर में तेजी से आयरन की कमी हो सकती है.
अगर कोई महिला मां बनने वाली है या वह मां बनना चाहती है तो डाक्टर की सलाह से आयरन के सप्लीमैंट जरूर लें.
समय से पहले जन्मे बच्चों में आयरन की कमी हो जाती है. ऐसे बच्चों के खानपान पर विशेष ध्यान दें.
आयरन से भरपूर भोजन का सेवन करें.
आयरन सही तरह से शरीर में एब्जौर्ब हो सके, इस के लिए विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा जरूरी है.
आयरन की कमी से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं
एनीमिया : आयरन की कमी से एनीमिया हो जाता है. यह शरीर से अधिक मात्रा में रक्त निकलने के कारण होता है. आयरनयुक्त भोजन या आयरन के सप्लीमैंट्स ले कर इसे दूर किया जा सकता है.
हृदय की धड़कनों का आसामान्य हो जाना- आयरन की कमी के कारण औक्सीजन की पूर्ति करने के लिए हृदय को अधिक रक्त पंप करना पड़ता है, जिस से हृदय की धड़कनें सामान्य हो जाती हैं. अगर आयरन की अत्यधिक कमी है तो हृदय का आकार बड़ा हो सकता है या हार्ट फेल भी हो सकता है.
गर्भावस्था में समस्याएं : गर्भावस्था के दौरान जिन महिलाओं में आयरन की अत्यधिक कमी होती है उन के बच्चे का विकास प्रभावित होता है और बच्चे का जन्म भी समय से पहले हो सकता है.
रिस्क फैक्टर्स : महिलाओं में आयरन की कमी ज्यादा होती है. विशेषरूप से उन महिलाओं में जो धूम्रपान करती हैं या जिन्हें मासिकधर्म के दौरान अधिक रक्तस्त्राव होता है, शाकाहारी लोगों को भी आयरन की कमी होने की आशंका अधिक होती है. बच्चे के विकास के कारण गर्भवती महिलाओं में भी आयरन की कमी हो जाती है. कैंसर के कारण छोटी आंत में दरार आने से और पेट में अल्सर होने से भी आयरन के अवशोषण में कमी आ जाती है. इस के अलावा बवासीर और हर्निया से पीडि़त लोगों में भी आयरन की कमी होने की आशंका ज्यादा रहती है.
कितने कारगर हैं सप्लीमैंट्स
वैसे हमें अपने पोषक तत्त्व खाद्य पदार्थों से ही प्राप्त करने चाहिए लेकिन अगर आप के शरीर में आयरन की अत्यधिक कमी है तो आप आयरन के सप्लीमैंट्स ले सकते हैं. लेकिन सप्लीमैंट्स लेने से पहले डाक्टर की सलाह अवश्य ले लें.
आयरन के सप्लीमैंट्स लेने के कई साइड इफैक्ट्स भी होते हैं, जैसे पेट खराब हो जाना, जी मिचलाना, उलटी होना, डायरिया, मल का रंग गहरा हो जाना, कब्ज आदि. अगर आप आयरन के सप्लीमैंट्स ले रहे हैं तो अपने भोजन में फाइबर की मात्रा बढ़ा दें.