आयोडीन एक महत्त्वपूर्ण माइक्रोन्यूट्रिऐंट है, जो थायराइड हारमोन के निर्माण के लिए जरूरी है. आयोडीन हमारी डाइट का एक आवश्यक पोषक तत्त्व है. आयोडीन की कमी से हाइपोथायराइडिज्म हो जाता है. अगर समय रहते इस का उपचार न कराया जाए तो गर्भधारण करने में समस्या आना, बांझपन, नवजात शिशु में तंत्रिका तंत्र से संबंधित गड़बडि़यां आदि होने का खतरा भी बढ़ जाता है.

कुछ लोगों में आयोडीन का स्तर कम होने पर भी कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है. वैसे कई लक्षण हैं, जिन से हाइपोथायराइडिज्म की पहचान होती है जैसे:

- थकान और उनींदापन महसूस होना.

- मांसपेशियों की कमजोरी.

- मासिकचक्र संबंधी गड़बडि़यां.

- ध्यानकेंद्रित करने में समस्या आना.

- याददाश्त का कमजोर पड़ना.

- असामान्य रूप से वजन बढ़ना.

- अवसाद.

- बाल झड़ना.

- त्वचा का ड्राई हो जाना.

- हृदय की धड़कनों का धीमा हो जाना.

महिलाओं के शरीर में आयोडीन की कमी का उन के प्रजनन तंत्र की कार्यप्रणाली से सीधा संबंध है. हाइपोथायराइडिज्म बांझपन और गर्भपात का सब से प्रमुख कारण है. जब थायराइड ग्लैंड की कार्यप्रणाली धीमी पड़ जाती है, तो वह पर्याप्त मात्रा में हारमोंस का उत्पादन नहीं कर पाती है, जिस से अंडाशयों से अंडों को रिलीज करने में बाधा आती है, जो बांझपन का कारण बनती है.

जो महिलाएं हाइपोथायराइडिज्म का शिकार होती हैं, उन में सैक्स में अरुचि, मासिकचक्र से संबंधित गड़बडि़यां और गर्भधारण करने में समस्या आना देखा जाता है. अगर हाइपोथायराइडिज्म से पीडि़त महिलाएं गर्भधारण कर भी लेती हैं, तो भी गर्भ का विकास प्रभावित होता है.

हाइपोथायराइडिज्म की रोकथाम

धूम्रपान बंद करें: धूम्रपान थायराइड को सीधे तौर पर प्रभावित करता है. इस के साथ ही निकोटिन शरीर से आयोडीन को अवशोषित करता है, जिस से हारमोन का स्राव प्रभावित होता है. यह सब से सामान्य कारण है, जो बांझपन में योगदान देता है.

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