इंसान के जीवन में कई बार ऐसी ‘आपात स्थितियां’ आ जाती हैं जब तुरंत चिकित्सा सुविधा मिल जाए तो निसंदेह व्यक्ति का जीवन बच जाए और ठीक इस के विपरीत यदि पर्याप्त चिकित्सा सुविधा का अभाव हो तो जान के लाले पड़ सकते हैं. स्थिति तब और वीभत्स हो जाती है जब बीमार व्यक्ति के घर से अस्पताल बहुत दूरी पर होता है व आसपास भी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं होती.
इस प्रकार के मौकों की अहमियत को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक हो जाता है कि व्यक्ति को कुछ ऐसी चिकित्सकीय बातों का ज्ञान हो जिन से इस विषम परिस्थिति से उबर कर जीवन बच सके.
आज की मैडिकल विज्ञान एवं टैक्नोलौजी के युग में ‘आपात स्थितियों’ को जानें.
यदि घर में आधीरात के वक्त सीने व पेट के मिलन स्थल पर तीव्र जलन और असहनीय दर्द हो.
रोगी के पेट में ‘घाव’ पेष्टिक अल्सर हो सकता है या पेट की मुलायम दीवारें जगहजगह से नष्ट हो सकती हैं. गैस्ट्राइटिस रोगी को ठंडा दूध पीने को दें तथा तीनचार बिस्कुट या डबलरोटी खाने को दें. यदि घर में ‘एंटी एसिड औषधि’ हो तो वह भी दें. इसे फर्स्ट एड बौक्स में रखें. ठंडे पानी से काम चलाया जा सकता है.
यह बीमारी विशेष रूप से इसलिए उत्पन्न होती है क्योंकि इस वक्त शरीर की जो रक्षक प्रतिक्रियाएं है वो लगभग क्षीण या सुस्त रहती हैं. इस रोग में ‘मानसिक तनाव’ से जितना अधिक बचेंगे,उतना ही अधिक फायदा होगा.
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यह, दरअसल, अधिक ‘इंसुलिन’ या मधुमेह की अन्य दवाएं खाने का साइड इफैक्ट है जिससे रक्त में शक्कर का स्तर गिरता है. इस समय रोगी को मीठी चीजें, जैसे टौफी, चौकलेट, फलों के रस दिए जाने चाहिए ताकि रक्त में शक्कर का स्तर बढ़े. भूल कर भी ऐसे वक्त इंसुलिनन दें. यह स्थिति ‘हाइपोग्लाइसीमिया’ कहलाती है.