आंख संबंधी बीमारियों में से एक है कंजक्टिवाइटिस. यह एक सामान्य संक्रामक रोग है. यदि इस का समय पर उपचार न किया जाए तो इस से आंखों की रोशनी भी जा सकती है. कंजक्टिवाइटिस को साधारण बोलचाल की भाषा में ‘आंख आना’ भी कहते हैं. वैसे तो यह रोग कभी भी हो सकता है, लेकिन बरसात के बाद इस के होने का खतरा अधिक रहता है. कंजक्टिवाइटिस हर आयुवर्ग वालों को हो सकता है.

कंजक्टिवाइटिस के कई प्रकार होते हैं…

यह बैक्टीरियल और वायरल इंफैक्शन से भी हो सकता है. बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस पहले एक आंख में होती है फिर दूसरी आंख इस की चपेट में आती है. इस के विपरीत वायरल इन्फैक्शन से उत्पन्न कंजक्टिवाइटिस एकसाथ दोनों आंखों में भी हो सकता है.

कंजक्टिवाइटिस धूल, मिट्टी, कैमिकल, धुआं और शैंपू की एलर्जी के कारण भी होता है.

कंजक्टिवाइटिस के कुछ लक्षण प्रमुख हैं-

  • आंखें लाल होना,
  • उन में सूजन,
  • दर्द और खुजली होना,
  • आंखों से निरंतर चिपचिपा पानी निकलते रहना,
  • धुंधला दिखाई देना,
  • सोने के बाद उठने पर पलकें चिपक जाना.
  • शुरुआत में ये लक्षण दोनों में से किसी एक आंख में दिखाई देते हैं, लेकिन धीरेधीरे दूसरी आंख में भी नजर आने लगते हैं.

इस बीमारी का प्रकोप 1 से 2 सप्ताह तक रहता है. यदि सावधानी बरती जाए तो बिना उपचार के ही 15 दिन में यह बीमारी ठीक हो सकती है, लेकिन इस में सफाई और सावधानी बरतना हर किसी के बस की बात नहीं है. इसलिए बेहतर होगा कि नेत्र चिकित्सक से परामर्श ले कर दवा डालें.

  • कंजक्टिवाइटिस होने पर आंखों में दवा सावधानी से डालें.
  • यदि घर में एक से अधिक सदस्यों को यह बीमारी है तो सभी एक ही ड्रौपर से दवा न डालें और न ही इसे आंखों से छुआएं.
  • इसी प्रकार संक्रमित व्यक्ति का तौलिया, रूमाल, तकिया आदि भी इस्तेमाल न करें.
  • इस बीमारी में आंखों में खुजली होती है, लेकिन आंखें खुजलानी नहीं चाहिए.
  • बारबार मसलने से आंखों के अंदरूनी हिस्सों को नुकसान पहुंच सकता है. यदि सावधानी नहीं बरती गई तो आंखों के भीतर घाव भी हो सकते हैं.

कंजक्टिवाइटिस होने पर सावधानी और सतर्कता बरतनी जरूरी है….

  • यदि संभव हो तो स्कूल, कालेज, औफिस आदि से छुट्टी ले लें, ताकि अन्य लोग इस की चपेट में आने से बच सकें.
  • बीमारी पूरी तरह ठीक होने तक दिन में हर 2 घंटे में एक बार साफ पानी से अपनी आंखें धोएं.
  • यदि आंखों में दर्द हो तो डाक्टर द्वारा दी गई दवा या ड्रौप का इस्तेमाल करें.
  • चाहें तो कपड़े को हलका गरम कर के आंखों पर रख कर सिंकाई कर सकते हैं.
  • चूंकि इस बीमारी से आंखों में खुजली और जलन होती है और पानी भी निकलता है. अत: आंखों को धोने, पोंछने, खुजलाने के बाद अपने हाथ साबुन से अवश्य धोएं.
  • जब भी घर से बाहर निकलें काला चश्मा अवश्य पहनें, ताकि तेज रोशनी की चुभन आंखों में महसूस न हो.
  • साथ ही यह ध्यान रहे कि दूसरे व्यक्ति आप के चश्मे का इस्तेमाल न करें.
  • कंजक्टिवाइटिस से पीडि़त व्यक्ति दिन में बारबार अपने हाथों को साबुन से धोएं.
  • यदि आप कौंटैक्ट लैंस का इस्तेमाल करते हैं, तो बेहतर होगा कि बीमारी ठीक होने तक उस के बजाय चश्मा पहनें.
  • यदि आंखों की पलकें आपस में चिपक गई हों तो रूई को गीला कर के धीरेधीरे साफ करें.
  • कंजक्टिवाइटिस के दौरान किसी भी तरह के कौस्मैटिक्स का इस्तेमाल करने से बचें.
  • यदि आप खेलने, तैराकी करने व मौर्निंगवौक का शौक रखते हैं तो ठीक होने तक ये सब न करना ही ठीक है.
  • इस दौरान सामाजिक मेलमिलाप से भी बचना चाहिए. खासतौर पर किसी स्वस्थ व्यक्ति से हाथ न मिलाएं अन्यथा उसे भी इस का संक्रमण हो सकता है.
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...