मानसून के शुरू होते ही गरमी से निदान मिल जाता है. युवाओं के मन में बरसात का अलग ही मजा होता है. रेन डांस से ले कर बरसात में मस्ती के तमाम रास्ते वे तलाश लेते हैं. खानेपीने की पार्टी और मस्ती के बहुत सारे फंडे युवाओं के मन में होते हैं लेकिन इस बरसात में पहले जैसी मस्ती करने को नहीं मिलेगी. इस का कारण कोरोना वायरस है जो पूरी दुनिया में फैला हुआ है. कोविड संक्रमण के दौर में बरसात में होने वाली बीमारियां और भी घातक रूप ले सकती हैं. इस का कारण यह है कि कोविड-19 के कोरोना वायरस को बरसात के दिनों में दूसरे संक्रमण का साथ मिल जाएगा. जिस से वह और भी अधिक खतरनाक रूप में बढ़ सकता है.

बरसात का मौसम सब से अलग होता है. वातावरण में हरियाली पैदा हो जाती है. ऐसे में तन और मन दोनों में उमंग भर जाती है. बरसात में भीगने के साथ ही साथ तलीभुनी चीजों के खाने का भी बहुत मन करता है. परेशानी की बात यह है कि यही चीजें बरसात में बीमारियों का भी कारण बनती हैं. ऐसे में बरसात का मजा लेने के लिए जरूरी है कि खाने और भीगने दोनों में सावधानी रखें. तभी बरसात का मजा ले पाएंगे. इस के साथ ही साथ कोरोना वायरस से भी बच कर रहना है. लखनऊ की डाक्टर मधु गुप्ता कहती हैं, ‘‘बरसात में पानी, गंदगी, मच्छरों से होने वाले संक्र्रमण से पहले भी बीमारियां बढ़ती थीं. इस बार कोविड-19 के कारण बरसात में और भी अधिक सतर्क रहने की जरूरत है.’’

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बरसात में और फैल सकता है कोविड-19

बरसात के साथ ही साथ संक्रमण से होने वाली बीमारियों की तादाद में तेजी से बढ़ोतरी हो जाती है. कोविड-19 के इस दौर में यह बरसात और भी अधिक बीमारियों को लाने वाली है. कोविड-19 यानी कोरोना वायरस के लक्षण और सामान्य सर्दीजुकाम व बुखार के शुरुआती लक्षण काफी हद तक मेल खाने वाले होते हैं. गले की खराश, सांस लेने में दिक्कत, नाक का बहना, सूखी खांसी का आना बरसात के समय में मौसम के बदलने से होने वाली बीमारियां हैं. पहले इन का सामान्य इलाज हो जाता था. अब सब से पहले कोविड-19 का टैस्ट कराना होगा.

बरसात अपने साथ कई बीमारियां भी ले कर आती है. मौसम में होने वाले परिवर्तन का स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है. ऐसे में यदि खानपान को ले कर थोड़ी सावधानी बरती जाए तो मौसम का आनंद उठाते हुए खुद को स्वस्थ भी रखा जा सकता है. इस मौसम में तापमान में बारबार बदलाव और उमस के कारण बीमारियां फैलाने वाले बैक्टीरिया और वायरस तेजी से पनपते हैं. इस कारण पाचनक्रिया ठीक नहीं रहती. बरसात के मौसम में इन्फैक्शन, एलर्जी, सर्दीजुकाम, डायरिया, फ्लू, वायरल जैसी पानी और हवा से होने वाली बीमारियां लोगों को घेर लेती हैं.

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खानपान और साफसफाई का रखें खयाल

बरसात के मौसम में बीमारियों से बचाव के लिए जरूरी है सफाई और खानपान का विशेष ध्यान रखा जाए. इस मौसम में मच्छरों से पैदा होने वाली समस्याएं सब से अधिक होती हैं. ज्यादातर बीमारियों के फैलने का कारण भी मच्छर होते हैं. मच्छरों के काटने पर उन का सलाइवा बौडी के प्रोटीन से मिल कर रिऐक्शन पैदा करता है जिस से एलर्जी शुरू हो जाती है. इस से स्किन में सूजन आ जाती है और लाल चकत्ते बन जाते हैं. उन में खुजली भी होने लगती है. ज्यादा खुजली कई बार बड़े घाव का कारण बन जाती है. बरसात के दिनों में स्किन पर होने वाली एलर्जी सब से अधिक होती है.

इस मौसम में पानी में गंदगी बढ़ जाती है. गंदे पानी और खराब खाद्य पदार्थों से भी कई रोग हो जाते हैं. इन में दस्त, हैजा, टायफाइड और प्रदूषित खाने से होने वाली बीमारियां प्रमुख हैं. खराब पानी पीने से दस्त जैसी बीमारी लग जाती है. दस्त में पेटदर्द और बुखार के साथ आंतों में सूजन आ जाती है. बुखार का जब समय पर सही तरह से इलाज नहीं मिलता तो कई बार यह टायफायड में बदल जाता है.

डेंगू और मलेरिया

मलेरिया बरसात में होने वाली आम लेकिन गंभीर संक्रामक बीमारी है जो रुके हुए पानी में पैदा होने वाले मच्छरों के काटने से होती है. यह रोग मादा ऐनाफिलिज मच्छर के काटने से फैलता है. इस से बचने के लिए अपने आसपास पानी का जमाव न होने दें. मलेरिया की ही तरह डेंगू बुखार भी मच्छरों के काटने से ही फैलता है. लेकिन डेंगू फैलाने वाले मच्छर साफ पानी में पनपते हैं. मच्छर के काटने से फैलने वाले इस रोग का प्रभाव मरीज के पूरे शरीर और जोड़ों में तेज दर्द के रूप में होता है. इस से बचने के लिए मच्छरों से बचें और घर से निकलने से पहले शरीर को पूरी तरह ढक लें.

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चिकनगुनिया भी मच्छरों से फैलने वाला बुखार है जिस का संक्रमण मरीज के शरीर के जोड़ों पर भी होता है और जोड़ों में तेज दर्द होता है. इस से बचने के लिए अपने आसपास जलभराव न होने दें. जिस से उस में पनपने वाले मच्छर बीमारी न फैला सकें.

टायफाइड

बरसात के मौसम में गंदे हाथों से खाने से संक्रमण हो जाता है जिस से टायफाइड जैसा बुखार भी हो सकता है. इस के लक्षणों में सूखी खांसी, सिरदर्द, भूख की कमी प्रमुख होते हैं. टायफाइड से बचाव के लिए रोगी को पूरा आराम करना चाहिए. पीने का पानी उबाल कर पीना चाहिए.

डायरिया

डायरिया का रोग भी बरसात में होता है. डायरिया एक बैक्टीरिया के जरिए फैलता है. डायरिया दूषित खाना ग्रहण करने से होता है. प्रदूषित पानी पीने से भी डायरिया हो जाता है. इस के लक्षणों में दस्त, थकान, बुखार शामिल हैं. डायरिया से बचाव करने के लिए बारिश के मौसम में गरम खाना खाएं तथा उबला हुआ पानी पिएं.

त्वचा संबंधी बीमारियां

बरसात के मौसम में त्वचा चिपचिप होने लगती है जिस से त्वचा में एलर्जी के साथ बैक्टीरिया पैदा होने लगते हैं. इस से त्वचा खराब होने लगती है. चोट, घाव और मच्छरों के काटने से स्किन की बीमारियां भी बहुत होती हैं. चोट और घाव को जल्दी ठीक करने के लिए बाहर जाते समय घाव को ढक कर चलें. सड़कों पर पड़े खराब पानी के संपर्क में न आएं. बाहर से आ कर स्नान जरूर करें.

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आंखों के रोग

बरसात के मौसम में आंखों की बीमारियां भी बहुत होती हैं. आई फ्लू में आंखें लाल हो जाती हैं और सूजन की वजह से आंखों में दर्द होता है. इस से बचने के लिए साफ हाथों से ही आंखों को साफ करना चाहिए. अपने खुद के तौलिए से ही शरीर को पोंछना चाहिए. आंखों को दिन में 3-4 बार साफ पानी से धोना चाहिए. यदि तब भी यह बीमारी दूर न हो तो डाक्टर को दिखाना चाहिए.

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