दुनियाभर के मोबाइल उपकरण बनाने वाली कंपनियों के लिए भारतीय बाजार सब से बड़ा आकर्षण है. यहां तेजी से मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ रही है. सस्ते उपकरणों का तो भारत उत्साहजनक बाजार है लेकिन महंगे फोन की मांग भी कम नहीं है. स्मार्टफोन की बिक्री इन दिनों तेजी से बढ़ी है.

स्मार्टफोन कंपनियों ने किस्तों में स्मार्टफोन की सुविधा उपलब्ध कराई है तब से उन की बिक्री और बढ़ी है. यहां सस्ते स्मार्टफोन की ज्यादा जरूरत है क्योंकि मोबाइल इंटरनैट का बाजार तेजी से उभर रहा है. फिलहाल कोई भारतीय कंपनी स्मार्टफोन नहीं बना रही है लेकिन सरकार के दूरसंचार विभाग की योजना देश में सस्ते स्मार्टफोन उपलब्ध कराने की है.

देश में करीब आधी आबादी यानी 65 करोड़ लोगों के पास मोबाइल हैं लेकिन स्मार्टफोन धारकों की संख्या सिर्फ 12 फीसदी है. संचार विभाग की कोशिश है कि वह ऐसा स्मार्टफोन विकसित करे जिस की कीमत 6 बाजार रुपए से कम हो और उस में महंगे स्मार्टफोन जैसी सारी सुविधाएं हों.

अब तक विभाग ने ऐसी योजना का खुलासा नहीं किया है कि वह सस्ती दर पर मोबाइल बनाने के लिए कंपनियों को कैसे उत्साहित करेगा लेकिन अगर विभाग ऐसा सोचता है तो उस की तारीफ की जानी चाहिए. हां, यह सुझाव जरूर रहेगा कि विभाग स्वयं उपकरण बनाने का जोखिम न ले क्योंकि उस की ऐसी हर कोशिश के नकारात्मक परिणाम होंगे.

सरकारी मोबाइल फोन सेवा एमटीएनएल का हाल देखिए. इस की सेवा को देखते हुए ही पोर्टेबिलिटी की सब से ज्यादा गाज इसी पर गिरी है. एमटीएनएल के दफ्तर में भी फोन मिलाएं तो सामने रखे मोबाइल फोन से आवाज आएगी, ‘उपभोक्ता अभी उपलब्ध नहीं है’ या ‘उपभोक्ता पहुंच से बाहर है.’ भला ऐसी सेवा वाली फोन सर्विस कैसे सफल होगी. हां, विभाग किसी कंपनी से कुछ रियायत पर मोबाइल फोन विकसित कराए तो फिर स्थिति बेहतर हो सकती है.

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