अति खूबसूरत चटक लाल रंग के गोलमटोल टमाटर देख कर सब्जी प्रेमियों की आंखों की चमक बढ़ जाती है. दैनिक जीवन में टमाटर की बहुत ज्यादा अहमियत होती है. हर सब्जी और सलाद में टमाटर का बढ़चढ़ कर योगदान होता है. बाजार में मिलने वाली टोमैटो सास या टोमैटो कैचप के दीवाने भी खूब होते हैं. घर पर बनने वाली तरहतरह की टमाटर की चटनियां भी लाजवाब होती हैं. ज्यादातर तरकारियां बगैर टमाटर के फीकी महसूस होती हैं, इसीलिए मार्केट में टमाटर की प्यूरी भी खूब बिकती है. ताजे टमाटर मौजूद न होने की हालत में टमाटर की प्यूरी से काम चल जाता है.
टमाटर के इस्तेमालों को देखते हुए इस की खेती की अहमियत बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. किसान लोग बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती कर के खूब मुनाफा कमा सकते हैं, तो घरेलू तौर पर भी टमाटर के पौधे लगाना फायदेमंद रहता है. आजकल संकर टमाटरों का चलन काफी बढ़ गया है, लिहाजा संकर टमाटरों की खेती कामयाबी की कुंजी बन गई है.
माकूल आबोहवा
संकर टमाटर की खेती के लिए 21 डिगरी सेंटीग्रेड औसत तापमान सही रहता है. टमाटर की खेती के लिए पाला घातक होता है, लिहाजा इस के लिए पाले रहित मौसम होना जरूरी है. थोड़े गरम व हलकी धूप वाले मौसम में टमाटरों का सही विकास होता है. ऐसे मौसम में टमाटर सही तरीके से पक कर गहरे लाल हो जाते हैं और पैदावार भी अच्छी होती है.
नर्सरी की तैयारी और बोआई
टमाटर की नर्सरी के लिए 5-6 मीटर लंबी और 2 फुट चौड़ी क्यारियां ठीक होती हैं. क्यारियों की ऊंचाई भी करीब 20-25 सेंटीमीटर होनी चाहिए. क्यारी तैयार करते वक्त उस में से कंकड़पत्थर वगैरह निकाल देने चाहिए. क्यारी में पर्याप्त मात्रा में अच्छी तरह से सड़ी गोबर की खाद व बालू मिला कर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए. क्यारी को फाइटोलान, डायथेन एम 45 की 2 ग्राम मात्रा का प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर भिगोएं. इस के बाद क्यारी की पूरी लंबाई में 10-15 सेंटीमीटर के फासले पर लाइनें बनाएं, इन्हीं लाइनों में बीजों की बोआई करें. बीजों को जमीन में जरा सा दबा कर बालू व भूसे से ढक दें और फुहारे से हलकी सिंचाई करें. अंकुरण होने तक रोजाना 2 बार क्यारी की सिंचाई करें. अंकुरण होने के बाद क्यारी से भूसा हटा दें. पौधों में 4-6 पत्तियां निकलने पर थाईमेट का इस्तेमाल करें. इस के बाद पौधों पर मेटासिस्टाक्स/ थायोडान की 2 मिलीलीटर मात्रा का प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करें.
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