लेखक-दुर्गाशंकर मीना, मूलाराम और मुकुट बिहारी मीना, पिंटू लाल मीना, सहायक कृषि अधिकारी, सरमथुरा, धौलपुर

पिछले अंक में आप ने अनार की उन्नत उत्पादन तकनीक के बारे में पढ़ा की किस तरह से खेती की तैयारी व खाद, बीज और सिंचाई आदि की जानकारी अब आगे पढि़ए.

कटाई और छंटाई

यह वानस्पतिक वृद्धि को नियंत्रित करने एवं पौधे के आकर तथा ढांचे को बनाए रखने की एक आशाजनक तकनीक है. इस विधि का सब से मुख्य फायदा यह है कि सूर्य का प्रकाश पौधे के सभी भागों अथवा पौधे के केंद्र तक आसानी से पहुंचता है, कृषण कार्य जैसे पादप रसायनों का छिड़काव एवं फलों की तुड़ाई भी आसान हो जाती है.

ये भी पढ़ें- ड्रिप और मल्चिंग पद्धति से शिमला मिर्च की खेती

अनार में संधाई ट्रैनिंग की मुख्य रूप से दो विधियां काम में ली जाती है.

  1. एकल तना विधि : इस विधि में, अनार के पौधे के अन्य शूट हटा कर केवल एक शूट रखा जाता है.
  2. बहु तना विधि : बहु तना विधि में, पौधे के आधर में 3-4 शूट रख कर पौधे को झाड़ीनुमा आकर में बनाए रखा जाता है. यह विधि बहुत लोकप्रिय और किसानों द्वारा व्यवसायिक खेती हेतु अपनाई जाती है, क्योंकि शूट भेदक के आक्रमण का असर कम होता है और बराबर उपज प्राप्त हो जाती?हैं.
  3. अनार की तितली या फल छेदक : यह अनार का एक प्रमुख कीट है जो अनार के विकास शील फलों में छेद कर देता हैं तथा फलों को अंदर से खाता रहता है जिस के कारण फल फफूंद एवं जीवाणु संक्रमण के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाते है.

नियंत्रण : शुरुवाती अवस्था में फलों को पालीथिन बैग से बेगिंग कर के या ढक कर नियंत्रित किया जा सकता है. फास्फोमिडान का 0.03 प्रतिशत या सेविन का 4 ग्राम प्रति लिटर पानी में गोल बना कर छिड़काव कर के भी इस कीट से छुटकारा पाया जा सकता है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...