लेखक- डा. नागेंद्र कुमार त्रिपाठी, वैज्ञानिक, पशुपालन  डा. संजय सिंह, कृषि विज्ञान केंद्र, जमुनाबाद, लखीमपुर

खीरी क्या है दूध का पाश्चराइजेशन आजकल पैकेट वाले दूध का चलन ज्यादा हो गया है. शहर में तो अधिकतर लोग इसी दूध का इस्तेमाल कर रहे हैं. पैकेट वाले दूध को पाश्चराइज्ड मिल्क भी कहते हैं. अधिकतर लोग इसी दूध का सेवन करते हैं पर समय और जगह की कमी के कारण ग्वालों के पास से दूध लाना मुमकिन नहीं हो पाता है,

इसलिए भी लोग आसपास की डेरी से पैकेट मिल्क ले लेते हैं. पर, क्या आप जानते हैं कि पाश्चराइज्ड दूध क्या होता है? इस प्रक्रिया को कैसे किया जाता है? इस के क्या फायदे और नुकसान हैं? होमोजिनाइल्ड दूध क्या होता है? पाश्चराइजेशन दूध क्या है इस तकनीक में दूध को अधिक तापमान पर गरम करने के बाद तेजी से उस को ठंडा कर के पैक किया जाता है. यह प्रक्रिया दूध को लंबे समय तक सही रखती है. साथ ही, यह तकनीक सेहत के लिए हानिकारक बैक्टीरिया को भी खत्म करती है. इसे ऐसे कहा जा सकता है कि इस विधि में तरल पदार्थों को गरम कर के उस के अंदर के सूक्ष्मजीवों जैसे जीवाणु, कवक, विषाणु आदि को नष्ट किया जाता है.

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इस विधि में विसंक्रमित पदार्थ को मामूली तापमान पर एक निश्चित समय तक गरम किया जाता है, जिस से हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं और इस पदार्थ के रासायनिक संगठन में कोई बदलाव भी नहीं होता है. पाश्चराइजेशन कितने तरीकों से किया जाता है होल्डर विधि : इस विधि में दूध को 161 डिगरी फारेनाइट तापमान पर आधे घंटे के लिए गरम किया जाता है और फिर तुरंत 50ष्ट पर ठंडा कर लिया जाता है. यह छोटे पैमाने पर पाथेजिनस को नष्ट करने का तरीका है. उच्च तापक्रम कम समय विधि : इस विधि में दूध को 161 डिगरी फारेनाइट तापमान पर 15 सैकंड के लिए गरम किया जाता है और फिर 40ष्ट पर तुरंत ठंडा कर लिया जाता है.

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