राजस्थान के श्रीगंगानगर, नागौर, जयपुर, दौसा, करौली और सवाई माधोपुर से टिड्डियों के झुंड उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पहुंच गए हैं. टिड्डियों को मारने के लिए केंद्र की टीम के साथ ही राज्य के कृषि विभाग के अधिकारी भी लगे हुए हैं.
राज्य के कृषि विभाग के आयुक्त ने बताया कि टिड्डी हमले के कारण राज्य के 20 जिलों में लगभग 90 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि प्रभावित हुई है. श्रीगंगानगर में ही करीब 4,000 हेक्टेयर और नागौर में 100 हेक्टेयर में फसलों को नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि विभाग ने 67 हजार हेक्टेयर भूमि पर टिड्डी नियंत्रण अभियान चलाया गया है.
टिड्डियां फसलों को बनाती हैं निशाना
टिड्डियों के झुंड 15-20 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ एक दिन में 150 किलोमीटर तक उड़ सकते हैं और खेतों में फसल न होने पर सब्जियों, पेड़ों और अन्य मौजूद वनस्पतियों को निशाना बना रहे हैं. कृषि जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान से टिड्डियों का भारत आने का प्रमुख कारण वहां इस समय फसलों का न होना है.
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कैसे रोकें टिड्डियों का हमला
टिड्डी नियंत्रण के बारे में राज्य के कृषि अधिकारियों ने बताया कि टिड्डियों के हमले को बेअसर करने के लिए 800 ट्रैक्टरों का इस्तेमाल किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि लगभग 200 टीमें दैनिक आधार पर सर्वेक्षण कर रही हैं तथा किसानों को मुफ्त कीटनाशक दिए जा रहे हैं. अधिकारी ने कहा कि टिड्डियों के झुंड हाल ही में जयपुर के कुछ आवासीय क्षेत्रों में प्रवेश कर गए थे और उन्होंने पेड़ों व मकानों पर हमला कर दिया, जो कुछ घंटों के बाद, दौसा की ओर चली गई.
भुखमरी की कगार तक पहुंचा सकते हैं टिड्डी
टिड्डी हमेशा से इंसानों के लिए अभिशाप की तरह ही रहे हैं. लाखों की संख्या में एक दल में रहने के कारण इनके खाने की क्षमता बहुत ज्यादा होती है. कई हेक्टेयर फसलों को टिड्डी दल एक दिन में ही खत्म कर देते हैं.
औसतन टिड्डियों का एक छोटा झुंड एक दिन में दस हाथियों, 25 ऊंट या 2500 व्यक्तियों के बराबर खा सकता है. टिड्डी पत्ते, फूल, बीज, तने और उगते हुए पौधों को खाती हैं. टिड्डियों का प्रकोप कई साल तक भी रहता है.
ज्यादा मात्रा में खाने के कारण टिड्डी पूरे फसल चक्र को ही बर्बाद कर देते हैं. जिसके कारण उत्पादन कम होता है और भुखमरी तक की स्थिति आ जाती है.
1993 के बाद सब से बड़ा टिड्डी हमला
भारत सरकार के टिड्डी नियंत्रण एवं अनुसंधान विभाग के अनुसार, टिड्डियों का अब तक का सब से बड़ा हमला 1993 में हुआ था. इस साल करीब 172 बार टिड्डियों के झुंडों ने फसलों और वनस्पति को नुकसान पहुंचाया.
विभाग ने 1993 में करीब 3.10 लाख हेक्टेयर भूमि का उपचारित किया था. इस से पहले 1964 से लेकर 1989 तक अलगअलग साल में 270 बार टिड्डी दलों ने भारत का रुख किया था. इसमें 1968 में 167 बार टिड्डी दल राजस्थान और गुजरात में आए थे. हालांकि इस बार अब तक टिड्डियों को आना जारी है इसीलिए सही आंकड़ा अभी मौजूद नहीं है.
इस बार आर्थिक रूप से सब से ज्यादा नुकसान
टिड्डी प्रभावित क्षेत्रों में राजस्थान सरकार अब तक करीब 76 करोड़ रुपये का मुआवजा किसानों को दे चुकी है. हालांकि अभी नुकसान के आकलन की प्रक्रिया चालू है, इसीलिए मुआवजा राशि का आंकड़ा बढ़ेगा.
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जाहिर है कि अब तक हुए टिड्डी हमलों में इस बार का हमला आर्थिक रूप से सबसे महंगा साबित होने जा रहा है.
केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 1926-31 के टिड्डी चक्र के दौरान 10 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. 1940-46 और 1949-55 के टिड्डी दलों के हमले के दौरान यह नुकसान दो करोड़ रुपये हुआ था.
1959-62 के आखिरी टिड्डी प्लेग चक्र पर 50 लाख रुपये का नुकसान हुआ था. इसके बाद 1978 में दो लाख और 1993 में करीब 7.18 लाख रुपये का नुकसान टिड्डियों के हमले से हुआ था.ढोलडीजे बजा कर किसान कर रहे हैं मुकाबला
देश के कई राज्यों में लाखोंकरोड़ों की तादाद में आए टिड्डों ने न सिर्फ किसानों को बल्कि सरकार के भी नाक में दम कर रखा है. पाकिस्तान की ओर से आए इन टिड्डों को भगाने के जतन भी नाकाफी हो रहे हैं.
टिड्डे बने मुसीबत
कोरोना महामारी से जूझ रहे लोगों के लिए अब टिड्डे नई मुसीबत बन कर आए हैं. दरअसल, लाखों की तादाद में पाकिस्तान की ओर से टिड्डियों का दल भारत में घुस आया है और भारत के अलगअलग इलाकों में फसलों को चट कर रहा है. इन टिड्डियों को भगाने के कई जतन किए जा रहे हैं. मगर अब तक सब बेअसर से दिखते हैं.
पंजाब और हरियाणा में टिड्डियों के हमले की आशंका
राजस्थान के श्रीगंगानगर में टिड्डी दल ने अटैक किया. किसान इन्हें टीन बजा कर खेतों से भगाने की कोशिश कर रहे हैं. बाड़मेर में जिला प्रशासन इन्हें भगाने के लिए बीएसएफ और फायर बिग्रेड की मदद ले रहा है. राजस्थान के करौली से धौलपुर की सीमा में करीब 5 किलोमीटर आकार का टिड्डियों का दल घुस गया था.
टिड्डियों के झुंड को देख ग्रामीणों में दहशत फैल गई है. ग्रामीणों ने धुंआ और शोर मचा कर टिड्डियों के दल को भगाया. रीवा में टिड्डी दल राजस्थान सीमा से निकल कर मध्य प्रदेश की सीमा में घुस गया. टिड्डी दल के आते ही किसानों ने टोली बना कर ढोल, डीजे, थाली, टीन के डब्बे बजा कर और ट्रैक्टर के सायलेंसर निकाल कर अपने क्षेत्र से टिड्डी दलों को भगाया.
योगी ने दिए टिड्डी दल से निपटने के निर्देश
पेड़ों पर बैठे टिड्डी दलों को मारने के लिए फायर ब्रिगेड से इन पर कीटनाशकों के घोल का छिड़काव किया. किसान तमाम तरह के उपाय कर टिड्डी दल को भगाते नजर आए. कुछ किसानों ने मोटरसाइकिल का सायलेंसर निकाल कर उस से गोली जैसी आवाज निकाल कर टिड्डों को भगाया.
राजस्थान के बाद अब मध्य प्रदेश में टिड्डियों का हमला, सरकार देगी मुआवजा
सतना में पेड़ों पर लाखों की तादाद में टिड्डियों का जमावड़ा है, यहां फायर ब्रिगेड केमिकल का छिड़काव कर टिड्डियों को भगाने में लगी है, साथ ही लोग ढोल बजाकर टिड्डियों को भगा रहे हैं. टिड्डियों के चलते किसानों के हालात बिगड़ रहे हैं, राजस्थान और मध्य प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र में भी टिड्डियों का आतंक है.
गुजरात में टिड्डियों का आतंक, किसान परेशान, पड़ी दोहरी मार
कोरोना के इस भयानक संकट काल में पाकिस्तान की ओर से आए टिड्डी नई परेशानी बन गई हैं. इन पर काबू नहीं पाया गया तो ये बड़ी तादाद में फसल बर्बाद कर देंगे.