हरियाणा के सोनीपत शहर की अनाज मंडी में ‘कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण’ (आत्मा) द्वारा कराए गए किसान मेले में लगभग 500 किसानों ने भाग लिया. किसानों के मनोरंजन के लिए हरियाणवी कलाकारों द्वारा रागिनी भी सुनाई गई. मेले की योजना डा. वीडी आर्य, डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर की देखरेख में डा. देवेंद्र सिंह, डिविजन आफिसर एग्रीकल्चर ने तैयार की. मंच संचालन कृषि विकास अधिकारी जय भगवान गहलावत ने किया.

मेले में अपनेअपने क्षेत्र के माहिर कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को उन के हित की अनेक जानकारियां दीं. साथ ही, उन्होंने किसानों की समस्याओं को भी सुलझाया. डा. जेके नंदन ने बताया कि किसानों को धानगेहूं की खेती की ओर रुख न कर के सब्जी की खेती की तरफ बढ़ना चाहिए. इस से उन्हें ज्यादा मुनाफा मिलेगा. जहां पारंपरिक खेती करने से साल में किसान 2 फसलें ले पाता है, वहीं किसान सब्जी की खेती करे, तो पूरे साल सब्जियों की फसल से अच्छी आमदनी ले सकता है.

उन्होंने आगे बताया कि किसान विदेशी सब्जियां जैसे ब्रोकली वगैरह की खेती करें तो उस से और भी ज्यादा मुनाफा मिलेगा. वे फूलों की खेती करें, प्याज की खेती करें, खासकर बिना मौसम वाली सब्जी पैदा करें, साथ ही वे बेबीकार्न की खेती भी करें. बेबीकार्न की खेती के 2 फायदे हैं. पहले बेबीकार्न बेचें फिर खड़ी फसल से हरा चारा लें. पशु विशेषज्ञ डा. बीएस रांगी ने भी किसानों, पशुपालकों को कई सुझाव दिए. उन्होंने बताया कि पशुपालकों को अपने पशुओं का दूध कैसे बढ़ाना चाहिए. इस पर उन का विभाग मदद करता है. आज के समय में सब से ज्यादा दूध देने वाली भैंस की नस्ल मुर्रा है. मुर्रा नस्ल का बीज हर पशु संस्थान में मिलता है. मात्र 100 रुपए में मुर्रा नस्ल का बीज घर जा कर भी दिया जाता है. पशुपालन विभाग पशुओं का साल में 4 बार टीकाकरण करता है. कई किसान सोचते हैं कि इस से पशु का दूध कम हो जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...