फरवरी में सर्दी उतार पर होती है, लिहाजा किसानों को काफी राहत महसूस होती है और वे खुद को खेती के लिए एकदम फिट पाते हैं. फरवरी के मौसम में किसानों को सेहत खराब होने का डर नहीं रहता और वे आराम से काम करने की हालत में होते हैं. जनवरी में तो किसानों का ज्यादा वक्त खुद को सर्दी से बचाते हुए ही बीतता है, मगर फरवरी की फिजा और आबोहवा तनबदन में चुस्तीफुरती भरने वाली होती है. काम चाहे गन्ने की बोआई का हो या गेहूं की फसल की देखभाल का, किसान पूरी लगन से जुट जाते हैं. फरवरी में सुस्ती एकबारगी खत्म हो चुकी होती है और खेतों में चहलपहल बढ़ जाती है. आइए डालते हैं एक नजर फरवरी के दौरान खेतीजगत में होने वाले खास कामों पर :

* शुरुआत गन्ने से करें, तो 15 फरवरी के बाद गन्ने की बोआई का सिलसिला शुरू किया जा सकता है. बोआई के लिए गन्ने की ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मों का चुनाव करना चाहिए. किस्मों के चयन में अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से मदद ले सकते हैं.

* गन्ने का जो बीज इस्तेमाल करें वह बीमारी रहित होना चाहिए. इस के बावजूद बोआई से पहले बीजों को अच्छे किस्म के फफूंदीनाशक से उपचारित कर लेना चाहिए. बोआई के लिए 3 पोरी व 3 आंख वाले गन्ने के स्वस्थ टुकड़े सही होते हैं.

* समय से बोई गई गेहूं की फसल में फरवरी में फूल लगने लगते हैं. इस दौरान खेत की सिंचाई हर हालत में कर देना जरूरी है. सिंचाई करते वक्त इस बात का खयाल रखें कि ज्यादा तेज हवाएं न चल रही हों. हवा चल रही हो तो उस के थमने का इंतजार करें और मौसम ठीक होने पर ही खेत की सिंचाई करें. हवा के बीच सिंचाई करने से पौधों के उखड़ने का पूरा खतरा रहता है.

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