सर्दी वाले गन्ने में अगर पिछले महीने सिंचाई नहीं की है, तो सिंचाई जरूर करें. गन्ने के साथ तोरिया, राई वगैरह की बोआई की है, तो निराईगुड़ाई कर लें. दिसंबर महीने में गन्ने की तकरीबन सभी किस्में कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं. चीनी मिल की मांग के अनुसार कटाई का काम शुरू करें. अभी अगर गेहूं की बोआई नहीं की है, तो 15 दिसंबर तक पूरी कर लें. इस समय बोआई के लिए ज्यादा पैदावार देने वाली पछेती किस्मों का चुनाव करें. बीज की मात्रा 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर इस्तेमाल करें. अगर गेहूं की बोआई किए हुए 20-25 दिन हो चुके हैं, तो पहली सिंचाई कर दें. फसल के साथ उगे खरपतवारों को खत्म करें.
जौ की बोआई नहीं की गई है, तो फौरन बोआई करें. पिछले महीने बोई गई फसल 30-35 दिन की हो गई हो, तो सिंचाई जरूर करें. सरसों की फसल में खरपतवारों को न पनपने दें. सरसों की फसल में जरूरत से ज्यादा पौधे उग आए हों, तो उन्हें उखाड़ कर पशुओं के लिए चारे के तौर पर इस्तेमाल करें. फसल पर कीटबीमारी का हमला दिखाई दे, तो फौरन जरूरी व कारगर दवाओं का छिड़काव करें. मटर की फसल में फूल आने से पहले हलकी सिंचाई करें. मटर के तना छेदक कीट की रोकथाम के लिए डाइमिथोएट 30ईसी दवा की 1 लीटर मात्रा व फलीछेदक कीट की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफास 36 ईसी की 750 मिलीलीटर मात्रा 800 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें. रतुआ बीमारी को काबू में करने के लिए मैंकोजेब दवा की 2 किलोग्राम मात्रा 800 सौ लीटर पानी में घोल कर खड़ी फसल पर छिड़काव करें. मसूर की बोआई इस महीने में भी कर सकते हैं. लिहाजा ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मों को बोआई के लिए चुनें.
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इस महीने मिर्च की फसल पर डाईबैक बीमारी का अकसर हमला देखा जाता है. इस की रोकथाम के लिए डाइथेन एम 45 या डाइकोफाल 18 ईसी दवा का छिड़काव करें. अगर प्याज की पौध तैयार हो गई हो, तो इस महीने के आखिरी हफ्ते में रोपाई का काम पूरा कर लें. आलू की फसल में जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें. बीमारियों से बचाव के लिए मैंकोजेब दवा का छिड़काव करें. अगर आसमान में बादल छाए हैं और नमी है, तो सायमोक्जेनिल 8 फीसदी व मैंकोजेब 64 फीसदी को मिला कर छिड़काव करें. आम के बागों की साफसफाई करें. 10 साल या इस से ज्यादा उम्र के पेड़ों में प्रति पेड़ 750 ग्राम फास्फोरस, 1 किलोग्राम पोटाश थालों में दें. इस के साथ ही नए लगाए गए छोटे पौधों को पाले से बचाने का इंतजाम भी करना चाहिए.
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मिलीबग कीट की रोकथाम के लिए तने के चारों तरफ 2 फुट की ऊंचाई पर 4 सौ गेज वाली 30 सेंटीमीटर पौलीथिन की पट्टी बांधें. इस पट्टी के नीचे की तरफ वाले किनारे पर ग्रीस का लेप कर दें. अगर मिलीबग कीट तने पर दिखाई दे, तो पेड़ के थालों की मिट्टी में क्लोरोपाइरीफास पाउडर की 250 ग्राम मात्रा प्रति पेड़ के हिसाब से छिड़कें. नए लगाए बागों के छोटे पेड़ों को पाले से बचाने के लिए फूस के छप्पर का इंतजाम करें व सिंचाई करें. इस आखिरी महीने की ठंड पशुओं के लिए काफी जोखिमभरी होती है. लिहाजा पशुओं को कमरों में बंद कर के रखें और रोशनी का उचित प्रबंध करें. इस ठंड का असर मुरगीपालन के कारोबार पर भी पड़ता है. ठंड से मुरगियों को बचाने का भी उचित प्रबंध करना बहुत जरूरी होता है.
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पहाड़ी इलाकों में आलू के खेत में निराईगुड़ाई करें. नाइट्रोजन की बाकी बची एक तिहाई मात्रा यूरिया या कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट के रूप में खेत में डाल कर मोटी मेंड़ बना कर मिट्टी चढ़ाएं. नारियल की खेती में बलुई व दोमट मिट्टी में टीले बनाएं और खेत की जुताई करें. नारियल की जड़ के आसपास की मिट्टी को नारियल के छिलकों से ढक दें ताकि नमी बनी रहे.