लेखक-रोहित और शाहनवाज

अब जब बात विरोध प्रदर्शनों की हो रही हो और लोग नारे न लगाए जाए, ऐसा तो मुमकिन ही नहीं है. जब लोगों के अन्दर सरकार के फैसलों के प्रति गुस्सा होता है तो उस गुस्से को जाहिर करने के लिए लोग उतना ही तेजी से चिंघाड़ते हैं. और कोई भी इंसान भला कितनी देर तक चिंघाड़ सकता है या नारे लगाए जा सकता है. उस की भी तो एक सीमा होती है. नारे लगाने वाले भी और नारों का जवाब देने वाले भी, एक वक्त ऐसा आता है जब ये दोनों प्रकार के प्रदर्शनकारी थक जाते है. अगर नहीं थकते तो कम से कम गला खराब तो हो ही जाता है.

इसी के उपाय के लिए टिकरी बॉर्डर पर किसानों के हो रहे प्रदर्शन में गुरमीत सिंह जी ने अपना काउंटर लगाया हुआ है. इस काउंटर पर गुरमीत जी आंदोलनकारी किसानों के बीच मुलेठी का पेस्ट और काढ़ा बना कर बांटने का काम कर रहे हैं. गुरमीत जी से बातचीत के दौरान उन्होंने अपने इस काउंटर को लगाने की वजह भी बताई.

क्या और क्यों बांट रहे हैं गुरमीत जी?

गुरमीत जी से बातचीत में उन्होंने बताया की, “प्रदर्शन करने आए किसान यहां आ कर नारे लगाएंगे और एक समय के बाद उन का गला खराब हो जाएगा. गला खराब होने पर वें आपस में बात भी ढंग से नहीं कर पाएँगे. खांसी भी होने लगती है. इसीलिए मैं इन किसानों के बीच मुलेठी का पेस्ट बांट रहा हूं, ताकि अगर उन का गला नारे लगा कर खराब हो जाए, तो जल्द से जल्द ठीक हो सके और वें फिर से आन्दोलन में नारे लगाने के लिए तैयार हो सके”

“काढ़ा पीना सेहत के लिए वैसे भी उपयोगी ही होता है. काढ़ा हम इसीलिए भी लोगों के बीच बांट रहे हैं की क्योंकि घर से इतनी दूर वें अपनी जायज मांगों को ले कर प्रोटेस्ट करने के लिए आए हैं. ऐसे में उन के खाने पीने का कोई फिक्स टाइम नहीं है. पेट में कभी भी कोई भी समस्या हो सकती है. इसीलिए जरुरी है की उन के पेट का भी ध्यान रखा जाए. ताकि बिना रुके बिना थके और बिना बीमार पड़े ये आंदोलनकारी इस प्रोटेस्ट को जारी रख सके.”

दरअसल बहादुरगढ़ के इस इंडस्ट्रियल इलाके में आम जगहों की तुलना में ज्यादा पोल्यूशन है, और इस के साथ ही कनेक्शन वाला पानी भी कुछ ख़ास साफ नहीं है. जिस की वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में गुरमीत सिंह जी उन परेशानी का उपाय पहले से लोगों के बीच ले कर मौजूद है.

किन चीजो के मिश्रण से बनाई हैं ये चीजे?

गला खराब होने पर गुरमीत जी और उन का परिवार लोगों को मुलेठी का पेस्ट दे रहे हैं. ये मुलेठी का पेस्ट गुरमीत जी ने हर घर की रसोई में उपलब्ध चीजो से मिल कर बनाया है.

“हम ने मुलेठी का ये पेस्ट, मुलेठी, अदरक, लौंग, काली मिर्च, गुड़ इत्यादि को मिला कर ये पेस्ट तैयार किया है. इस में हम ने शहद भी मिलाया है ताकि इस का स्वाद जुबान पर अच्छा लगे और शहद, मुलेठी, अदरक ये सभी चीजे इंसान के गले के लिए लाभदाई ही होता है.”

“काढ़े हम ने अदरक, गुड़, काली मिर्च, सौंफ, बड़ी इलायची, तुलसी, पुदीना, दालचीनी, सौंठ और भी कई चीजे मिला कर तैयार किया है. ये काढ़ा पीने से पेट की समस्या के साथ साथ, सर दर्द और गले को भी बेहद आराम पहुंचाता है. हमारा असली मकसद लोगों के बीच उन की इन छोटी छोटी परेशानियों का इलाज नेचुरल ट्रीटमेंट के जरिये करना है इसीलिए हम घर की ही चीजो से बनी काढ़े और मुलेठी का पेस्ट लोगों के बीच बाँट रहे हैं.”

कौन है गुरमीत सिंह जी?

पंजाब में जालंधर के रहने वाले गुरमीत जी पिछले 13-14 सालों से हरियाणा के बहादुरगढ़ के निवासी हैं. टिकरी बॉर्डर के आस पास ही उन की ऑटो पार्ट्स की फक्ट्रियां हैं. उन्होंने बताया उन के साथ 25 वर्कर काम करते हैं. गुरमीत जी ने बताया की वें और उन का पूरा परिवार जिस दिन से किसान आन्दोलन के लिए टिकरी बॉर्डर पर संगठित हुए थे उसी दिन से ही वें भी अपना काउंटर ले कर यहां उन के बीच मौजूद हैं.

गुरमीत जी ने बताया की वें किसानों के इस आन्दोलन के पुरे समर्थन में हैं. उन्होंने बताया, “कोरोना काल के जिस समय में देश की जी.डी.पी. माइनस में जा रही थी उस समय केवल किसान अपने खेतों में दिन रात खट कर देश की पूरी आबादी को अन्न मुहैय्या करवा रहा था. और उसी समय में सरकार ने इन कानूनों को ला कर किसानों की खेती को भी उन से छिनने का काम किया है.”

“सरकार को जल्द से जल्द इन कानूनों को वापिस लेना पड़ेगा वरना तब तक हम इसी तरह से ही इन किसानों के संघर्ष में साथ रहेंगे. जब तक ये काले कानून वापिस नहीं हो जाते तब तक हम भी अपना प्रदर्शन इसी तरह से जारी रखेंगे.”

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