अपने खेतों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए इस वैज्ञानिक युग में विभिन्न रसायनों का इस्तेमाल कर के हम फसलों का अधिक उत्पादन ले रहे हैं. इन रसायनों में कीटनाशी, फफूंदनाशी व रासायनिक उर्वरक खास हैं. सभी रसायन फसलों की पैदावार जरूर बढ़ाते हैं, लेकिन हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं. इसलिए आज यह जरूरी हो गया है कि फसलों में रसायनों का सोचसमझ कर कम इस्तेमाल किया जाए. ये तमाम रसायन पौधों व इनसानों के शरीर के अंदर ऊतकों की प्रतिरोधक कूवत को खत्म करते हैं. ऐसे में गुणवत्ता वाले उत्पादन के लिए निम्नलिखित नवीनतम तकनीकों का इस्तेमाल कर के घातक रसायनों के इस्तेमाल से छुटकारा मिल सकता है :

प्राकृतिक खाद : जीवाणु खाद, वर्मी कंपोस्ट, गोबर की खाद व वे खादें जो पशुओं के अवशेषों से बनाई जाती हैं, वे सभी कुदरती यानी प्राकृतिक खाद कहलाती हैं. इन सभी प्राकृतिक खादों से पोषक तत्त्व संतुलित मात्रा में प्राप्त होते हैं.

संतुलित मात्रा में पोषक तत्त्व प्राप्त होने से पौधों की बढ़वार तो अच्छी होती ही है, साथ ही गुणवत्तायुक्त उत्पादन भी प्राप्त होता है. पोषक तत्त्वों की पूर्ति के अलावा प्राकृतिक खाद से खेत की उत्पादकता में इजाफा होता है. कुदरती खादों के इस्तेमाल से पोषक तत्त्वों की मात्रा में इजाफा होता है. प्राकृतिक खादों की मात्रा और इस्तेमाल करने की विधि तालिका में दी गई है.

जैव उत्पाद : वैज्ञानिक खेती के विकास के साथसाथ कीट व बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ा है. नतीजतन तमाम तरह के रसायनों का अंधाधुंध इस्तेमाल होने लगा है. अब हालत यह है कि ये तमाम रसायन भी असरहीन हो रहे हैं, क्योंकि कीटों ने अपने शरीर की प्रतिरोधक कूवत बढ़ा ली है. इस हालत में जैव उत्पाद जैसे नीम के बने उत्पाद, लहसुन के उत्पाद, गोमूत्र व अन्य पौध या जंतु उत्पादों का इस्तेमाल काफी फायदेमंद साबित हो रहा है. जैव उत्पादों के इस्तेमाल से प्रदूषण का खतरा बिल्कुल भी नहीं होता है और गुणवत्ता वाली उपज में इजाफा होता है. गुणवत्ता वाले उत्पादों की कीमत बाजार में अधिक होती है.

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