एक जमाना था जब ज्वार, बाजरा या मक्का जैसे अनाजों को मोटा व मामूली माना जाता था. गरीब तबके के लोग ही ज्वार, बाजरा व मक्का जैसे अनाजों की रोटियां खाया करते थे. मगर अब इन अनाजों को खाना शान की बात समझा जाता है. मौल्स में इन अनाजों के आटे काफी महंगे दामों पर मिलते हैं. अगर बाजरा की बात की जाए तो कबूतरों को चुगाने वाले इस सलेटी अनाज में भरपूर खूबियां होती हैं. इस का फाइबर वाला आटा सेहत के लिए मुफीद होता है. इस के आटे से सोंधी रोटियां व लाजवाब पुए बनाए जाते हैं. बाजरे की रोटी में गुड़ व देशी घी मिला कर तैयार किया गया मलीदा बेहद स्वादिष्ठ होता है. गुड़ व तिल डाल कर बनाए गए बाजरे के पुए देख कर मुंह में पानी आ जाता है. वैसे चारे के लिहाज से इस का ज्यादा इस्तेमाल होता है.

खासीयत

बाजरा ऊंची बढ़ने वाली फसल है, जो ज्यादातर चारे के लिए लगाई जाती है. बाजरा के पौधों में कल्ले काफी मात्रा में निकलते हैं. अपने सूखारोधक गुण की वजह से बाजरे की फसल भारत के सभी हिस्सों में उगाई जाती है. माकूल हालात में इस की 1 से ज्यादा कटाई ली जा सकती हैं. इसे हरे और सूखे चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. बाजरे के चारे से साइलेज भी उम्दा बनता है.

सही जमीन

बाजरे की फसल हर किस्म की जमीन में उगाई जा सकती है. फिर भी इस के लिहाज से रेतीली और रेतीली दोमट जमीन बेहतर होती है. बाजरे के खेत में जल निकलने का सही इंतजाम होना चाहिए, क्योंकि यह फसल ज्यादा पानी नहीं बरदाश्त कर सकती है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...