लेखक: मदन कोथुनियां 

विश्व मानचित्र पर भले ही राजस्थान के सवाई माधोपुर की पहचान रणथंभौर राष्ट्रीय वन्य जीव अभयारण्य व गढ़ रणथंभौर की वजह से होती रही हो, लेकिन अब यहां की पहचान स्वादिष्ठ और मीठे रसीले अमरूदों के लिए भी होने लगी है. सवाई माधोपुर जिला अमरूदों के बागों की धरती के रूप में विश्व मानचित्र पर अपनी धाक जमा चुका है.

सवाई माधेपुर जिले में पैदा होने वाले अमरूदों का फुटकर बाजार तकरीबन 10,000 किसानों की आमदनी का बेहतरीन जरीया सिर्फ अमरूद है. यहां की अर्थव्यवस्था में सिरमौर रहे रणथंभौर पर्यटन व्यवसाय को पछाड़ कर अमरूद का कारोबार पहले स्थान पर आ गया है.

गौरतलब है कि पर्यटन के लिहाज से साल 2018 में कुल 37,134 पर्यटक सवाई माधोपुर में आए थे. 6,000 रुपए प्रति व्यक्ति खर्च के हिसाब से पर्यटन महकमे को महज 222 करोड़ रुपए की आमदनी हुई थी.
एक पक्के बीघा में 150 से 200 अमरूदों के पेड़ लगे हुए हैं. जिले में फल दे रहे अमरूदों के पौधों की तादाद तकरीबन 40 लाख है. एक पौधा औसतन 100 से 125 किलोग्राम अमरूद की उपज देता है यानी जिले में 40 करोड़ किलोग्राम अमरूद का उत्पादन हो रहा है. यहां के अमरूद की औसतन फुटकर कीमत
25 रुपए किलोग्राम आंकी गई है. इस हिसाब से जिले में अमरूद का रिटेल कारोबार 10 अरब रुपए के आसपास पहुंच चुका है.

जिले के उद्यान महकमे के मुताबिक, इस साल यानी 2019-20 में जिले में 1,000 हेक्टेयर से भी ज्यादा इलाके में अमरूदों के बाग लगाए गए हैं. इस से आने वाले 3-4 सालों में अमरूद के बागों का क्षेत्रफल और कारोबार सवा से डेढ़ गुना बढ़ने का अनुमान है.

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