आम किसानों की आय बढ़ाने, कृषि उपज की ब्रांडिंग और मार्केटिंग से ले कर खेतीबारी, बागबानी, पशुपालन, मछलीपालन, फूड प्रोसैसिंग जैसे तमाम कामों में फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन यानी एफपीओ की भूमिका बढ़ती जा रही है. किसान एक कंपनी के रूप में एफपीओ का गठन कर अधिक आय अर्जित कर सकते हैं.

एफपीओ किसानों को न केवल कृषि उपज का मूल्य खुद ही तय करने का अवसर देता है, बल्कि छोटी जोत वाले किसानों को दलालों, बिचौलियों और मंडियों के भंवरजाल से छुटकारा दिलाने में भी काफी मददगार साबित हो रहा है.

किसान एफपीओ के रूप में खुद की कंपनी कैसे बनाएं, इस के लिए जरूरी प्रक्रिया क्या है, इस का सफल संचालन कैसे करें और इस से किसान अपनी आय कैसे बढ़ाएं, इस मुद्दे पर एफपीओ के जानकार चार्टर्ड अकाउंटैंट अजीत चौधरी से लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, उसी बातचीत के खास अंश :

कृषक उत्पादन संगठन यानी एफपीओ क्या है?

कृषक उत्पादक कंपनी, जिसे हम आमतौर पर एफपीओ यानी किसानी उत्पादक संगठन कहते हैं. यह किसानों का एक पंजीकृत समूह होता है, जो खेतीबारी के उत्पादन काम में लगे हुए होते हैं. यही किसान कृषक उत्पादक कंपनी बना कर खेती और उस से जुड़ी व्यावसायिक गतिविधियां करता है.

एफपीओ के पंजीकरण के लिए जरूरी प्रक्रिया क्या है?

कोई भी किसान, जो खेतीबारी से जुड़ा हुआ है, संगठित हो कर एफपीओ का पंजीकरण कंपनी अधिनियम के तहत करा सकते हैं. इस के लिए कम से कम 10 किसान सदस्यों का होना जरूरी है.

पंजीकरण के पूर्व इन किसानों को अपना पैनकार्ड, आधारकार्ड, पासबुक, 2-2 फोटो, खेत की खतौनी, मोबाइल नंबर व ईमेल, कंपनी के 2 प्रस्तावित नाम, निदेशक और शेयरधारकों की संख्या जरूरी है.

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