गन्ना से बना रहे इथेनाल उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में किसानों द्वारा बोई जाने वाली गन्ना की फसल लाभकारी फसल है. कम लागत और बिना कीटव्याधि के यह फसल भरपूर उत्पादन देती है. शुगर मिलों द्वारा गन्ना से शक्कर बनाने की प्रक्रिया में जो दूसरे उत्पाद बनते हैं, वे जो मुनाफा देते हैं, उस से उन्हें आम के आम और गुठलियों के दाम भी मिल जाते हैं. मध्य प्रदेश की एक शुगर मिल ने गन्ने के शीरा से इथेनाल बनाने की शुरुआत की है, जिस का लाभ मिल मालिक के साथसाथ किसानों को भी मिलेगा. नरसिंहपुर जिले के सालीचैका रोड की नर्मदा शुगर मिल गन्ने के मोलासिस यानी शीरा से इथेनाल बना कर पैट्रोलियम कंपनियों को बेच रही है. इस से एक ओर शुगर मिलों को करोड़ों रुपए की आमदनी हो रही है, तो दूसरी ओर पैट्रोलियम कंपनियों और देश को भी करोड़ों रुपए की विदेशी मुद्रा की बचत हो रही है.

जब से देश में पैट्रोल में 5 फीसदी इथेनाल मिलाने की नीति लागू की गई है, तब से पैट्रोलियम पदार्थों को ले कर देश धीरेधीरे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है. पैट्रोलियम उत्पादों को बढ़ाने के लिए आने वाले समय में पैट्रोल में 20 फीसदी इथेनाल तक मिलाने की सरकार नीति लाने वाली है. खास बात यह भी है कि इथेनाल से प्रदूषण नहीं फैलता, जबकि वाहनों में पैट्रोल के उपयोग से हानिकारक गैसों के निकलने से प्रदूषण भी फैलता है. नर्मदा शुगर मिल के संचालक विनीत माहेश्वरी ने बताया कि अकेली नर्मदा शुगर मिल में रोजाना तकरीबन 80 हजार लिटर इथेनाल बनाया जा रहा है. पूरे सुगर सीजन में करीब 100 दिन में 2 करोड़ लिटर इथेनाल बनाया जाएगा. नर्मदा मिल शीरा से खुद को इथेनाल बना ही रही है, साथ ही इस जिले की दूसरी मिलों का शीरा खरीद कर उस से भी इथेनाल बनाया जा रहा है. जबलपुर के पास भिटोनी स्थित पैट्रोलियम डिपो को यहां से इथेनाल की सप्लाई की जा रही है. पैट्रोलियम कंपनी 45 रुपए प्रति लिटर की दर से इथेनाल खरीद रही है. पहले शुगर मिलों से निकलने वाला शीरा शराब बनाने वाली डिस्टलरी को बेचा जाता था. वे इसे 3-4 रुपए प्रति लिटर की दर से खरीदती थीं.

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