लेखिका-प्रो. रवि प्रकाश मौर्य, कृषि विज्ञान केंद्र, सोहांव, बलिया, अयोध्या

उत्तर प्रदेश वसंतकालीन अरबी की खेती ज्यादा लाभकारी अरवी को घुइयां के नाम से भी जाना जाता है. इस की खेती मुख्यत: खरीफ मौसम में की जाती है, लेकिन सिंचाई सुविधा होने पर वसंतकालीन में भी की जाती है. इस की सब्जी आलू की तरह बनाई जाती है और पत्तियों की भाजी और पकौड़े बनाए जाते हैं. अरबी के कंदों में प्रमुख रूप से स्टार्च होता है.

इस की पत्तियों में विटामिन ‘ए’, कैल्शियम, फास्फोरस और आयरन भी पाया जाता है. आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, सोहांव, बलिया के अध्यक्ष प्रो. रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि अरवी वसंतकालीन और खरीफ दोनों मौसम में उगाई जाती है. भूमि अरबी के लिए पर्याप्त जीवांश और उचित जल निकास वाली रेतीली दोमट भूमि उपयुक्त रहती है. उर्वरक का प्रयोग खेत की तैयारी के समय 3 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद प्रति कट्ठा यानी 125 वर्गमीटर के हिसाब से अरवी बोआई के 15-20 दिन पहले खेत में मिला देनी चाहिए.

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मिट्टी की जांच के बाद ही उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए. अधिक उपज लेने के लिए यूरिया एक किलोग्राम, सिगल सुपर फास्फेट 4.70 किलोग्राम और म्यूरेट औफ पोटाश 2 किलोग्राम की मात्रा बोआई के पहले खेत में मिला देना चाहिए. आधा यूरिया बोआई के 35-40 दिन पर और 70 दिन बाद खड़ी फसल में टौप डै्रसिंग के रूप में देना चाहिए. बोआई का सही समय वसंतकालीन फरवरी महीने में और खरीफ के लिए 15 जून से 15 जुलाई तक बोआई की जाती है. बीज/कंद की मात्रा बोआई के लिए अंकुरित कंद 10-15 किलोग्राम प्रति बिस्बा/ कट्ठा की जरूरत पड़ती है. बीजोपचार कैसे करें बोने से पहले कंदों को मैंकोजेब 75 फीसदी डब्ल्यूपी 1 ग्राम प्रति लिटर पानी के घोल में 10 मिनट तक डुबो कर उपचारित कर बोना चाहिए.

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