सुनहरे गेहूं की तमाम किस्मों को विकसित करने के बाद कृषि वैज्ञानिकों ने एक नई किस्म काला गेहूं यानी ब्लैक व्हीट तैयार किया है. यह गेहूं सेहत के लिए काफी फायदेमंद है.
अब तक गल्ला मंडी में वैसे भी सभी लोगों ने सुनहरे रंग का ही गेहूं देखा होगा, पर अब मंडी में काला गेहूं देखने को मिल रहा है. गल्ला मंडी, सीहोर में पिछले दिनों यह काला गेहूं बिकने आया, जो हाथोंहाथ बिक गया.
वजह, एक तो इस गेहूं की काफी ज्यादा मांग है, क्योंकि यह सेहत के लिए बहुत ही लाभकारी है. वहीं इस किस्म का गेहूं पूरी तरह से काला है.
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गल्ला मंडी, सीहोर में काला गेहूं की सब से ऊंची बोली लगा कर 4001 रुपए के भाव में खरीदा गया. काला गेहूं की मांग उस के प्रोटीन से भरपूर होने के कारण बहुत अधिक है. साथ ही, कई बीमारियों में भी यह फायदेमंद है.
विगत 2 सालों से शाजापुर और सीहोर से लगे ग्रामीण इलाकों के कुछ उन्नतशील किसान इस गेहूं को उगाने की निरंतर कोशिश में थे. इस साल यह गेहूं सीहोर गल्ला मंडी में भी अपनी दस्तक दे चुका है.
क्या है काला गेहूं
असल में सुनहरे गेहूं की तरह ही काले रंग के गेहूं की किस्म विकसित की गई है. इस का छिलका पूरा काला होता है, लेकिन अंदर में यह सफेद ही रहता है. इस के आटे की सफेदी कुछ कम रहती है. खाने में सामान्य स्वाद है, लेकिन यह 3-4 घंटे में ही पच जाता है.
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किस ने खरीदा काला गेहूं
गांव नांदनी के किसान प्रेमनारायण पिछले दिनों मंडी सीहोर में अपना 1 क्विंटल काला गेहूं ले कर आए थे. इसे दिलीप कुमार लखमसी शाह फर्म के दिलीप शाह ने ऊंची बोली लगा कर 4001 रुपए में खरीदा.
किसान खुश है, अब तीन गुना उगाएगा
गांव नांदनी के किसान प्रेमनारायण ने बताया कि पिछले साल एक किसान से 30 किलो काला गेहूं के बीज खरीदे थे, जिन्हें इस साल बोया था. इस से 8 क्विंटल अनाज पैदा हुआ. इसे वे सीहोर मंडी में बेचने गए, जहां हाथोंहाथ बिक गया.
उस किसान ने बताया कि जिस हिसाब से इस गेहूं की मांग है, इस वजह से वे अगले साल एक क्विंटल गेहूं बोएंगे. साधारण गेहूं की तरह ही इसे बोया जाता है. इसे बोने में कोई दिक्कत नहीं आई. पानी भी उतना ही लगता है, जितना सामान्य गेहूं में लगता है.
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बहुत ही सुपाच्य
एक कारोबारी ने बताया कि शाजापुर मंडी में पिछले साल से यह गेहूं आ रहा है. हम ने घर में खुद खा कर देखा है. इस गेहूं की खूबी यह है कि इस में प्रोटीन बहुत अधिक है. 3-4 घंटे में ही यह पच जाता है. डायबिटीज यानी शुगर के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है. साथ ही, हाई ब्लडप्रैशर वाले भी इसे खा सकते हैं. इस के अलावा तनाव, मोटापा, कैंसर और दिल से जुडी बीमारियों की रोकथाम में यह गेहूं काफी मददगार है.
वजह, काले गेहूं में एंथोसाइनिन नाम के पिगमेंट होते हैं. यह नैचुरल एंटीऔक्सीडेंट है. इसी वजह से यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है.
एक ओर जहां सामान्य गेहूं में एंथोसाइनिन की मात्रा 5 से 15 पीपीएम होती है, वहीं दूसरी ओर काला गेहूं में 40 से 140 पीपीएम पाई जाती है. एंथोसाइनिन के अलावा काला गेहूं में जिंक और आयरन की मात्रा में भी अंतर होता है. काले गेहूं में सामान्य गेहूं की तुलना में 60 फीसदी आयरन ज्यादा होता है. हालांकि प्रोटीन, स्टार्च और दूसरे पोषक तत्व समान मात्रा में होते हैं.
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वैसे, काले गेहूं का बीज कुछ फलों के जरीए तैयार किया जाता है. काले गेहूं के बीज को तैयार करने में जामुन व ब्लू बेरी फल का इस्तेमाल होता है. इस का रंग देखने में बेशक काला है, लेकिन इस की रोटी ब्राउन ही बनती है.
काला गेहूं की रोटी खाने से शरीर का मोटापा कम होता है, वहीं इसे खाने से एसिडिटी से भी छुटकारा मिलता है. रोटी के अलावा बाटी भी बनाई जा सकती है जो सेहत को तमाम बीमारियों से बचाने के अलावा पेट को दुरुस्त रखने में मददगार साबित होगा.
काला गेहूं को आप भी अपने खाने में शामिल कर सकते हैं और सेहत को दुरुस्त रख सकते हैं