तमाम बीजीय मसालों में अजवायन की खास जगह है. इस का इस्तेमाल सब्जियों व अचारों में मसाले के रूप में किया जाता है. इस के बीज पेट की तकलीफों में दवा का काम करते हैं. अजवायन में प्रोटीन, वसा, रेशा, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस व लोहा जैसे गुणकारी तत्त्व पाए जाते हैं. इस की खास महक इस में मौजूद तेल के कारण होती है. अजवायन के बीजों में 2 से 4 फीसदी तक थाईमोलयुक्त तेल पाया जाता है, जिसे बहुत सी आयुर्वेदिक औषधियों व कई उद्योगों में इस्तेमाल किया जाता है.

जलवायु : अजवायन सर्दी के मौसम में उगाई जाने वाली फसल है. इस की अच्छी बढ़वार व पैदावार के लिए ठंडा व सूखा मौसम ठीक होता है. सिर्फ बीज पकने के दौरान कुछ गरम मौसम की जरूरत होती है.

जमीन : अच्छी पैदावार के लए भुरभुरी दोमट व मटियार दोमट जमीन मुफीद रहती है. इस के लिए अच्छे जलनिकास वाली, जीवांश पदार्थ वाली और नमी बरकरार रखने वाली जमीन अच्छी होती है. अजवायन के लिए रेतीली जमीन ठीक नहीं होती है.

उन्नत किस्में : अजवायन बोने के लिए ज्यादातर देशी किस्मों को ही चुना जाता है. इस की ज्यादा पैदावार देने वाली उन्नत किस्में हैं ऐऐ 1, ऐऐ 2, गुजरात अजवायन, गऐ 19-80, लाभ सलेक्शन 1 व 2 और पंत रुचिका.

बोआई का समय : मध्य अक्तूबर से मध्य नवंबर तक.

बीज दर : 4 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

खेत की तैयारी : पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने के बाद 2-3 जुताइयां देशी हल या हैरो से करनी चाहिए. इस के बाद पाटा लगा कर मिट्टी को बारीक कर के खेत को समतल करें. अच्छे अंकुरण के लिए खेत में पर्याप्त नमी होना जरूरी है. इस के लिए पलेवा कर के ही खेत तैयार करें.

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