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अहंकार के दायरे
आखिरकर बाबू जी ने अर्चना को अपनी घर की बहू बना लिया.
भाग - 1
बाबूजी ने स्वयं को झूठे अहंकार के दायरे में रख कर न केवल अपने जीवन में दुखों का समावेश किया बल्कि अपने बेटे की खुशियां तक ताक पर रख दीं.
भाग - 2
नीरा परेशान रहने लगी. उसे समझ नहीं आ रहा था कि इस समस्या को कैसे सुलझाए. एक ओर बाबूजी का हठी स्वभाव, दूसरी ओर यतीन की कोमल भावनाएं.
भाग - 3
पिछले कुछ दिनों से यतीन कितना परेशान था, यह तो उस का दिल ही जानता था. भैयाभाभी और बाबूजी से अलग रहने की कल्पना उसे बेचैन कर रही थी.
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