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मदर्स डे स्पेशल: मां हूं न- आरती और अनुराधा के लिए कौन था उनका सहारा?
सुबोध पिता, पत्नी और छोटी सी बेटी को छोड़ कर एक लड़की के साथ विदेश चला गया था, कभी न आने के लिए. ऐसे में मां आरती और पोती अनुराधा के सशक्त सहारा बने विश्वंभर प्रसाद यानी उस के दादाजी, लेकिन एक दिन जब एक्सीडेंट ने उन की जान ले ली तो…
भाग - 1
‘व्हाट नानसैंस, जिंदा तो छोड़ दिया न? बेटे के हत्यारे को क्षमा, वह भी मां हो कर.’’ आराधना चिढ़ कर बोली.
भाग - 2
मांबाप के जाने के बाद आरती उठी. ससुर के आंसू भरे चेहरे को देखते हुए उन के सिर पर हाथ रखा और आराधना को गले लगाया. इस के बाद अंदर जा कर बालकनी में खड़ी हो गई.
भाग - 3
मैं ने उस की मां को देखा. एक ही बेटा है, जो जवानी की दहलीज पर खड़ा है. नादान और गैरजिम्मेदार है, लेकिन वही उन का सहारा है. उसी पर उन की सारी उम्मीदें टिकी हैं. सर्वस्व लुट जाने का दुख मैं जानती हूं बेटा.
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