हमारीभजभजिया मंडली को आपत्ति हो सकती है पर संजय दत्त को सजा देने में छूट पर ज्यादा हल्ला मचाने की जरूरत नहीं है. 1993 के हिंदूमुसलिम दंगों के दौरान हिंदू गुंडों की दंगाई फौज से डर कर तब किशोर से संजय दत्त ने एक एके47 राइफल काले बाजार से खरीद ली थी पर पकड़ा गया था. उस पर गुनाह साबित करना कठिन हो जाता पर उस के पिता ने शराफत में उसे गुनाह कबूल करने की सलाह दी और अदालतों के पास उसे सजा देने के अलावा कोई चारा न बचा. हालांकि तब से वर्षों तक जमानत पर बाहर रहने के कारण उस ने कई यादगार फिल्में कीं पर यह राइफली भूत उस के सिर पर सवार रहा.
अब उसे रिहा किया जा रहा है तो भजभजिए हल्ला मचा रहे हैं जो निरर्थक और बेकार की बात है. संजय दत्त मूलत: अपराधी नहीं कलाकार है. उस से समाज को खतरा नहीं है. वह अगर गलती कर बैठा तो उस ने लंबी कैद पहले और बाद में अदालतों के गलियारों में काटी है. कानून इतना बेरहम नहीं होना चाहिए कि एक सुधरे व्यक्ति, जिस ने किसी का कोई नुकसान नहीं किया हो, को सिर्फ कागजी खानापूर्ति के लिए जेल में भरे.
संजय दत्त जैसे सैकड़ों मामलों में जघन्य अपराधियों को छोड़ा जाता है ताकि जेलों में अच्छे आचरण पर इनाम दिया जा सके. अगर कट्टरपंथियों की सुनें तो वे तो चाहेंगे कि जेबकतरों और लड़की पर सीटी बजाने वालों को भी चौराहे पर फांसी पर लटका दिया जाए. ये भजभजिए उसी जमात के हैं जो गौ सेवा के नाम पर आदम हत्या को उचित मानते हैं और देश भर में पशुओं का जायज व्यापार करने वालों को पीटपीट कर मार रहे हैं. विडंबना यह है कि भजभजिए सिर्फ अपनी दुकानदारी बचाए रखने हेतु कुछ भी ऊलजलूल गढ़ते रहते हैं जिस से समाज का ध्यान बंटे और उन की दुकानदारी को फायदा पहुंचे, उन का नाम जनहित की फेहरिस्त में ऊपर हो, जबकि असलियत बिलकुल उलट होती है. अब जबकि संजय दत्त की रिहाई से किसी का धर्म किसी तरह आहत नहीं होता, इस के बावजूद भजभजिए आपत्ति जता कर देश को बांट कर अपनी दुकानदारी बरकरार रखने को तत्पर हैं जबकि संजय दत्त ने कोई ऐसा जघन्य अपराध भी नहीं किया है. सोशल मीडिया का जो गलत इस्तेमाल हो रहा है जिस में भड़काऊ बेसिरपैर की कहानियां दोहराई जा रही हैं, जो हुआ नहीं उसे कल हुआ कह कर बांटा जा रहा है और अपनी भड़ास निकालने या दानदक्षिणा सुरक्षित करने के लिए मुसलिम मां नरगिस के बेटे को निशाना बना रहे हैं. उन्हें न देश से प्रेम है न मानवता या आदर्श व्यवहार से. उन्हें तो वह धर्म चाहिए जो शूद्रों व अछूतों के नाम पर गरीब सेवक दे और पूजापाठ के नाम पर दानदक्षिणा और उस के लिए संजय दत्त जैसे कितनों को ही कोसा जा सकता है.
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