फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप ने झूठ का प्रचार करने में धर्मों को भी मात दे दी है. हर धर्म को अपने झूठ को ही अंतिम सत्य साबित करने में 100-200 या इस से भी ज्यादा साल लगे हैं, पर इन हाईटैक कंपनियों ने झूठ को सच मानने की आदत कुछ सालों में ही डलवा दी.
धर्मों की खबर फैलाने में लंबा समय लगता था. जिस ने झूठ गढ़ा उसे अपने आसपास के 10-20 लोगों को झूठ दूत बना कर दूसरी जगह भेजना पड़ता था, जिस में महीनों लगते थे. लेकिन आज के टैक प्लेटफौर्मों पर झूठ तैयार करो, और घंटों में दुनिया के कोनेकोने में पहुंचा दो. अगर वहां झूठ को सच मानने वाले मिले तो वह वायरल हो कर कुछ ही दिनों में सदासदा के लिए सच बन जाता है.
फर्क यह रहा है कि धार्मिक झूठ ने पक्की जमीन ली थी. उसे जिस ने माना अंतिम सत्य मान लिया और उसे झूठ कहने वाले का सिर काट दिया या अपना कटवा लिया. पर झूठ को झूठ नहीं माना. लेकिन हाईटैक झूठ की पोल तेजी से खुलने लगी और अब फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप के लिए खतरे की घंटी बज रही है कि उन पर भरोसा किया जाए या नहीं.
अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया का जम कर फायदा उठाया क्योंकि वहां के गोरों को डर था कि काले, भूरे, सांवले, पीले लोग उन के देश पर कब्जा न कर लें. भारत में 2014 में विकास और अच्छे दिनों के पीछे दलितों, पिछड़ों की बढ़ती तादाद और ताकत डरा रही थी. दोनों जगह चुनावों में इस स्पैशल मीडिया पर जम कर झूठ फेंका गया. अब टैक कंपनियां थोड़ी सावधान हुई हैं. फेसबुक ने अब संदेश पढ़ने शुरू कर दिए हैं और उस ने उन के अकाउंट बंद करने भी शुरू कर दिए हैं जो भ्रामक झूठ या घृणा फैलाने में माहिर हैं. मतलब यह है कि अब फेसबुक की चिट्ठी डाकिया पढ़ने लगा है और यदि उसे लगे कि उस में गलत बातें हैं तो वह चिट्ठी दबा सकता है और भेजने वाले या पाने वाले को बैन कर सकता है.
फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप और गूगल अब सरकारों से ज्यादा ताकतवर हो गए हैं. वे पार्टियों के ऊपर हैं. वे जनता के अकेले मार्गदर्शक हैं जबकि उन्हें जनता के भले की नहीं, अपने पैसों की चिंता है. वे पैसा मिले तो हर झूठ को फैला देंगे, न मिले तो सच को झूठों के अंबार के नीचे दबा देंगे.
लोग इस की भारी कीमत चुकाने लगे हैं. आज अज्ञान और गलत ज्ञान जम कर फैल रहा है जबकि विज्ञान पिछड़ रहा है. नतीजा यह है कि लोग चुटकुलों से जीवन जीना सीख रहे हैं, पोर्न से साथी बना रहे हैं, मोबाइल के कैमरे से खींची अंतरंग तसवीरों को इन टैक प्लेटफौर्मों से फैलाने की धमकियां दे कर अपनी बात मनवा रहे हैं. इन का असर गलत सरकार चुनने से ले कर घर, परिवार और संबंधों में गलतफहमी पैदा करने तक पर पड़ रहा है.