लड़कियां आमतौर पर अब नहीं चाहतीं कि उन्हें मोरैलिटी का उपदेश दिया जाए या टोकाटाकी की जाए. लेकिन कुछ मामले ऐसे होते हैं जो दर्शाते हैं कि लड़कियों को अपनी इज्जत नहीं, तो कम से कम हाथपैर बचाने के लिए सही हिफाजत करनी व रखनी चाहिए. दिल्ली के बेगमपुरा इलाके में एक रैस्तरां में शैफ का काम कर रही लड़की ने अपने को कुछ ज्यादा बोल्ड समझ लिया और नतीजा हुआ कि उसे 4-मंजिली बिल्डिंग से धक्का दे दिया गया.

लगता है वह लड़की कुछ ज्यादा घुलीमिली थी और तभी उस ने अपने 2 लड़के मित्रों और एक सहेली के साथ एक ही मोटरसाइकिल पर एक मौल में जाने का प्रोग्राम बना लिया. एक मोटरसाइकिल पर 4 में से जब वे लड़कियां हों तो उन की दशा क्या होगी, समझा जा सकता है. पर, यदि वह खुश थी तो साफ है कि उस की रजामंदी थी.

जब पुलिस वालों ने रोक कर 4 के एकसाथ चलने पर मोटरसाइकिल जब्त कर ली तो चारों ने एक आटोरिक्शा लिया. इस के बाद रास्ते में 2 को आटो में छोड़ कर एक लड़के  के साथ लड़की एक बन रहे मकान की चौथी मंजिल पर चली गई, जहां कोई मौजूद न था. वहां जो हुआ उसे छोडि़ए, पर थोड़ी देर में बिना कपड़ों के उसे चौथी मंजिल से धक्का दे दिया गया. तारों से उलझती हुई वह लहूलुहान हो कर सड़क पर आ गिरी.

अपने शरीर पर हर लड़की का अपना अधिकार है. समाज को या दूसरों को बोलने का हक नहीं है. सैक्स करना भी उस का अपना फैसला है. यदि वह 3 के बीच चिपक कर उमसभरी गरमी में एक ही मोटरसाइकिल पर बैठी थी तो आनंद पाने की अपेक्षा उसे थी ही. अगर वह चौथी मंजिल तक अपने मित्र के साथ गई तो कोई जबरदस्ती तो नहीं थी. यह उस का हक है कि वह क्या करे.

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