भारतीय जनता पार्टी पूरे देश में धर्म का झुनझुना बजा कर फैल गई है पर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी उसे घुसने नहीं दे रही हैं. कुछ नगर निकायों के चुनावों में ममता को मिलीं 140 सीटों के मुकाबले में भाजपा को मात्र 6 सीटें मिलीं. यह और कुछ नहीं, बस, यह बताता है कि अगर लगन हो तो भूकंपों, आंधियों और आग से भी मुकाबला किया जा सकता है.

ममता बनर्जी के पास कोई धर्म नहीं, दिमाग को सुन्न करने वाला कोई कैडर नहीं. उन के जुझारूपन, उन के त्याग, उन की मेहनत और उन की सादगी का नतीजा है कि वे पश्चिम बंगाल की आंखों का तारा बनी हुई हैं.

यह जीवन के हर क्षेत्र में लागू होता है. सफल वही होते हैं जो लग कर काम करते हैं, चाहे क्षेत्र पढ़ाई का हो, क्रिकेट का हो, डांस का हो या लेखन का. जम कर काम करना और अपना ध्येय व लक्ष्य सामने रखना जरूरी होता है. आप जो कर रहे हैं और कह रहे हैं उस में स्वार्थ ही न हो, दूसरों का खयाल भी हो.

ममता इस का जीताजागता उदाहरण हैं कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह की लगातार कोशिशों के बावजूद पूरे बंगाल की जनता टस से मस नहीं हो रही. त्रिपुरा में भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस के कुछ विधायक तोड़े भी, लेकिन फिर भी पश्चिम बंगाल में वह कुछ न कर पाई. हर युवा को अपने काम पर विरोधी को सेंध मारने से रोकने के लिए अपना किला मजबूत करना सीखना होगा. यह मुश्किल नहीं है.

हर युवा को कन्हैया कुमार की तरह जुझारू होना होगा. वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम के दौरान नकली नारों के नाम पर पकड़ा गया, जेल में रहा पर उस ने हिम्मत नहीं हारी. वह आज करोड़ों का नहीं, तो हजारों की आंखों का तारा तो है. वह जब बोलता है तो लोगों की सांसें रुक जाती हैं. न अमीर घर का रहनसहन, न अंगरेजी स्कूल की पढ़ाई. पर उसे हर बात का ज्ञान है, हर बात की समझ है.

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