हमारे नेताओं में सत्ता पाने या सत्ता में बने रहने की कितनी छटपटाहट है, यह सब दिख रहा है. संसद में बहुमत के चलते नरेंद्र मोदी सरकार और कुछ विधानसभाओं में बहुमत के चलते भाजपाई सरकारें सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर सत्ता में बने रहने का हरसंभव प्रयास कर रही हैं तो विपक्षी दल आरोपों की झड़ी लगाते संसद में हंगामा खड़ा कर और सुप्रीम कोर्ट में जो बचीखुची ताकत है उस के बल पर देश में बचे लोकतंत्र को बचाने व राजनीति को जैसेतैसे बचाए रखने की कोशिश कर रहे हैं.

सत्ता की छटपटाहट के सैकड़ों उदाहरण हमारे सनातन ग्रंथों में मिलते हैं. हमारे ऋषि, मुनि, राजा, देवी, देवता, दस्यु सब की कथाएं जो वेदों व पुराणों में हैं, सब सत्ता के लिए हैं. जनसेवा का उदाहरण तो बड़ी मुश्किल से ढूंढ़ने पर मिलेगा. शिवपुराण में एक कथा दस्यु राजा तारक की है जिन्होंने तपस्या कर के ब्रह्मा से 3 पुत्र मांगे. आज के वोटरों की तरह ब्रह्मा ने ये 3 पुत्र दे दिए तो देवताओं में खलबली मच गई.

इन पुत्रों ने 3 नगर बसाए और इन नगरों में शिवपुराण के अनुसार बावलियां, उद्यान, नदियां, फलोंफूलों से भरे पेड़, क्रीड़ास्थल, पाठशालाएं थीं. उन्होंने, जैसा हर ग्रंथ में लिखा होता है, ब्राह्मणों का भी रहनेखाने, गृहस्थी जमाने का पूरा ध्यान रखा. पर फिर भी इंद्र आदि देवता दुखी हुए. वे भी ब्रह्मा के पास पहुंचे, ठीक वैसे ही जैसे आज विपक्ष सत्ताधारी पार्टी को हटाने के लिए वोटरों के पास पहुंच जाता है.

ब्रह्मा ने वैसे तो इनकार कर दिया पर फिर भी उपाय बताया कि तारक पुत्रों को धर्म से विमुख कर दो. जैसे कांग्रेस पर अयोध्या की बाबरी मसजिद को बचाने और राममंदिर न बनने देने का आरोप लगा, वैसा ही तारक पुत्रों पर लगा. बाद में शिव की सहायता से तीनों नगरों को देवताओं ने जीत लिया.

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