कोविड-19 जाने का नाम नहीं ले रहा है और अब अलगअलग रूपों में सामने आ रहा है. वैक्सीन बनाने वालों का दावा है कि अब तक कोविड-19 वायरस के जितने म्यटैंट सामने आए हैं वैक्सीन सबको निपट सकती है पर वास्तव में क्या होगा यह तो कुछ समय बाद ही पता चल पाएगा. इतना जरूर है कि चाहे दुनिया भर में लोगों ने कोविड-19 के अब झेल लेने की तैयारी करनी शुरू की है और पूरे लौकडाउनों की बात बंद हो गई है.

हमारे प्रधानमंत्री तो एक तरफ मास्क और 2 गज की दूरी के उपदेश देते रहे हैं और दूसरी तरफ तमिलनाडू, केरल, पश्चिमी बंगाल व असम के चुनावों में सभाओं में गाल से गाल मिला कर बिना मास्क पहने लोगों की भी़ देख कर गदगद भी होते रहे हैं. यह मानना पड़ेगा कि कोविड-19 की माहमारी उन जगहों पर बुरी तरह नहीं फैली जहां चुनाव हो रहे हैं. उस भीड़ में लोग इतने सक्षम थे कि वे कोरोना का कहर झेल सकते थे.

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कोविड 19 की लड़ाई लंबी चलेगी. अब देशों ने एक अंतराष्ट्रीय समझौते पर बात करने की शुरूआत कर दी है जिस में एक संधि के अनुसार सभी देशों के लिए महामारियों से निपटने के एक से नियम अपनाने का बाध्य होना पड़े. कोई देश अपने आॢथक कारणों से छूट दें और कोई निकम्मी नौकरशाही के कारण कोरोना को फैलने दे अब नहीं चलेगा क्योंकि कोरोना वायरस कोई सीमा नहीं जानता.

नक्शों पर खींची रेखाएं असल में अब बेकार साबित हो रही हैं. चीन से शुरू हुआ कोविड इटली पहुंचा और फिर कोई देश नहीं बचा जहां यह पहुंचा नहीं हो. यह वह दवा है जो सीमाएं नहीं जानती. ग्लोबल काॄमग की तरह कोविड सब को बिमार कर सकती है, सब जगह बिमार कर सकती है

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