एक धर्म प्रचारक टैलीग्राम चैनल पर एक महानुभाव, जो अपना नाम विलाव दावड़ा लिखते हैं, दावा करते हैं कि एक मंदिर के पास 10,80,00,000 रुपए की संपति थी जिसे ब्राह्मणों ने कुछ हजार रुपए के लालच में लूटने दिया और अपना चोरी का हिस्सा ले कर पूरे विश्व में वर्ण ब्रहता को बदनाम कर दिया.

मंदिरों की संपत्ति को ले कर इस तरह के बेसिरपैर के दावे आज भी हो रहे हैं और पहले भी होते रहे हैं. फर्क यह है कि आधुनिक टैक्नोलौजी के कारण आज ये दूरदूर तक फैलाए जा सकते है. पहले अपनेअपने धर्म का चोगा पहन कर इस तरह के झूठ प्रचारक घरघर पहुंचाते थे. वह काम कठिन था और उस के लिए प्रचारकों को अपने खानेपीने, पहनने व रहने की व्यवस्था करनी पड़ती थी.

हर धर्म में चमत्कारों का बहुत महत्त्व रहा है. हर धर्म के ग्रंथों में कहानियों का भंडार है जिन में रहस्य, रोमांच, प्रेम, हत्या, पुनर्जीवित होना, भूतप्रेत बनना सब शामिल हैं. हर धर्म कहता रहता है कि उस के पास अमर रहने का फार्मूला है. वह बीमारियों को ठीक कर सकता है, पहाड़ों को हिला सकता है, समुद्र को सुखा सकता है, आसमान में उड़ सकता है.

लेकिन हर धर्म का असल उद्देश्य वही है जो विलाव दावड़ा ने बताया- पैसा जमा करना. अगर ऐसा कोई मंदिर कहीं था जिस के पास अरबों रुपयों की संपत्ति थी तो सवाल उठता है कि वह संपत्ति आखिर जमा कैसे हुई? इस भारीभरकम संख्या का उद्देश्य यही है कि हर गांव, कसबे या मंदिर उतना नहीं तो लाखों तो मंदिर के नाम पर जमा करे.

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