हालांकि बिहार के नीतीश कुमार की अलटापलटी ने भारतीय जनता पार्टी के चक्रवर्ती बनने के सपने पर कुछ अंकुश लगा दिया है पर कांग्रेस के बूढ़े हो रहे नेता गुलाम नबी आजाद का लंबी चिट्ठी लिख कर कांग्रेस को छोड़ देना इसी सपने को पूरा करने का एक और प्रयास है. समृद्ध, सुखी भारत की जगह कांग्रेस मुक्त भारत या विपक्षी मुक्त भारत की कल्पना हमारे पौराणिक ग्रंथों में भरी है जिस में राजा अश्वमेघ यज्ञ करा कर घोड़ा छोड़ता था कि वह जहां जाए वहां का राजा हथियार डाल दे. पौराणिक ग्रंथों में हर राजा, राम और पाडंव ही नहीं, यह स्टंट करते रहे हैं.
सवाल उठता है कि एक राजा के चक्रवर्ती बनने से लाभ किसे होता है? अगर जनता इसी भूभाग की है, जिसे आज भी एक देश कहते हैं और पौराणिक ग्रंथों में एक ही देश मानते थे, तो किस ने किसे हराया, कौन जीता यह किस मतलब का था. जब युधिष्ठिर ने कुछ समय के लिए राज किया तो उस ने राजसूर्य यज्ञ कराया और अर्जुन, भीम, नकुल व सहदेव से कई देशों के राजाओं को हराने के साथ वहां लूटपाट कर के धनसंपत्ति लाने को कहा. उदाहरण के तौर पर भीमसेन ने पांचालों, गंडक, विदेह दशार्ण देशों को जीता. दशार्ण नरेश सुशर्मा ने भीम से युद्ध किया पर हार गया तो ???…दलबदल…??? करा कर उस ने उसे प्रधान सेनापति बना डाला.
फिर भीम ने अश्वमेघ देश के राजा रोचमन को हराया, पूर्व देश को बिना युद्ध हथियार डालने को मजबूर किया, पुलिंदों के नगर सुकुमार को अधीन किया, शिशुपाल जो चंदिराज का राजा था उस से समझौता कर लिया, कंसल राज को जीता.
ये सब देश हिंदू राजाओं के थे. वहां पौराणिक परंपराओं को माना जाता था. कोई भी राजा अपनी जनता के प्रति क्रूर नहीं था. कुछ ???…ओच्छा…??? राजाओं को जरूर अपने वश में किया पर उन को बराबर का स्थान दिया, यह स्पष्ट नहीं. हर राजा से धर्मखर्च लिया गया. चंदन, वस्त्र, मणि, मोती, सोना, चांदी ‘करोड़ों की संख्या’ में ला कर युधिष्ठिर को इंद्रप्रस्थ में दिए.
क्या यही कहानी अब नहीं दोहराई जा रही, अपने ही लोगों को तोडफ़ोड़ कर पैसे का लालच दे कर फुसलाया जा रहा है. एक बार चुंगल में आने के बाद मनमरजी का जीएसटी, खानों और जमीनों के बेचने का काम कर के प्रदेशों की जनता को लूटा नहीं जा रहा? जहां भी सत्ता परिवर्तन हुआ है वहां क्या पहले अराजकता थी? न महाभारत में युधिष्ठर के भाइयों ने किसी क्रूर राजा को हराया न 2014 से अब तक भारतीय जनता पार्टी ने किसी गलत व भ्रष्ट सरकार को दलबदल कर के हटाया.
पहले युद्ध तीरों, भालों से होते थे आज इंद्रप्रस्थ सरकार के पास दूसरे हथियार हैं. पर जनता को क्या लाभ हो रहा है, क्या मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गोवा, असम, नागालैंड, महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन से सोने की वर्षा होने लगी है.
उलटे संदेश यह जा रहा है कि कोर्ई नेता अपने समर्थकों, विधायकों, सांसदों पर भरोसा नहीं कर सकता. रामायण और महाभारत में भाइयों पर जिस तरह संदेह करना सिखाया गया है उसे भारतीय जनता पार्टी दूसरी पार्टियों की तोडफ़ोड़ कर के सिखा रही है. विभीषण और शकुनि हर जगह होते हैं, आज भी हैं और हमारे नेता यही साबित कर रहे हैं कि वे पौराणिक संदेशों व पौराणिक शिक्षा को सही से लागू कर रहे हैं.