हिंदू मुसलिम करते हुए एकदो बातें हिंदू धर्म को बेच कर पैसा व पावर बनाने वाले खूब जोरशोर से करते हैं. एक तो यह है कि जनता का पैसा कब्रिस्तानों पर लग रहा है. दूसरी यह है कि वे 5 से 25 हो रहे हैं. तीसरी बात यह है कि वे 4 शादियां करते हैं. इन बातों का सिरपैर नहीं है क्योंकि यह वैसा ही भुलावा है जैसाकि दान करने से पुण्य मिलता है और स्वर्ग मिलता है. हां, जो जनता जम कर दान कर स्वर्ग (जो है ही नहीं) में जगह बना रही हो, वह इन बातों को आंख मूंद कर मान लेती है.

अगर जनता का पैसा कब्रिस्तानों में लग रहा है तो इस का मतलब यही होगा न कि मुसलमान बहुत मर रहे हैं. अगर वे मर रहे हैं तो उन की संख्या कैसे बढ़ेगी. कौन जमात ऐसी होगी जो पहले 5 से 25 के लिए कशमकश करे और फिर मार कर कब्रिस्तान बनाए. कब्रिस्तान में मरे लोग दफनाए जाते हैं, वहां आमदनी का जरिया नहीं होता. आमदनी का जरिया तो वे मंदिर हैं जो सडक़ों के किनारे, प्राइवेट जमीन पर, सरकारी स्कूलों, अस्पतालों, वित्त मंत्री तक के दफ्तर में उग आते हैं जहां बाकायदा पूजा होती है.

इसी तरह का भ्रम 4 शादियों का है. अगर मुसलमान पुरुष 4 शादियां करते हैं तो उस का अर्थ है कि उन के यहां बच्चे पैदा होते हैं तो 1 लडक़े के साथ 3 लड़कियां होती हैं वरना हर मुसलिम मर्द को 4 औरतें कहां से मिलेंगी?

मुसलिम 5 से 25 हो जाते हैं, यह जनसंख्या के आंकड़ों से कहीं सिद्ध नहीं होता. लेकिन दशरथ एक से 4 हो गए थे और धृतराष्ट एक से 100 हो गए थे, यह हम सब को बचपन से पढ़ाया जाता है. हर पुराण में 10-20 बच्चों वाले राजाओं के किस्से मिल जाएंगे.

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