कनार्टक में विधानसभा चुनावों में वोटों को कटने से बचाने के साथ व पार्टीजनों
की एकता के बल पर कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी को भारी
शिकस्त दी है. अरविंद केजरीवाल पंजाब व दिल्ली में, ममता बनर्जी बंगाल में,
कम्यूनिस्टों ने केरल में व नवीन पटनायक ओडिशा में नरेंद्र मोदी को शिकस्त देते
रहे हैं.

असल में नरेंद्र मोदी का गुणगान जितना होता रहा, उस में ढोल पीटना ज्यादा रहा है और ढोलनुमा इसी सर्कस के बल पर जमा हुई भीड़ के बलबूते भाजपा एकछत्र राज्य कर पा रही थी. नरेंद्र मोदी की भाषाकला और भाजपा सरकार की विरोधियों को कुचलने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों को इस्तेमाल करने ने एक माहौल पैदा कर दिया था कि मोदी का कोई पर्याय नहीं है.

इस पर ऊपर से भगवा लपेटा लगाया गया है जिस में मंदिर, पूजापाठ, धर्म, आयुर्वेद, वस्तु, प्रवचनों, शादियों आदि के व्यापार से जुड़े लोग शामिल हैं जिन्हें पाखंड और भेदभाव में ही अपना वर्तमान व भविष्य दिखता है. कर्नाटक में 224 में से 137 सीटें जीत कर सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी को
65 पर धकेल कर कांग्रेस ने साबित कर दिया है कि 150-200 साल की जाति व्यवस्था का लपेटा अभी भी देश की जान नहीं बन पाया और 2004 को दोहराया जा सकता है.

नरेंद्र मोदी की केंद्र की सरकार हो या उन की पार्टी की राज्य सरकारें, अपना ज्यादा समय, शक्ति और बहुत पैसा पूजापाठ के कार्यक्रमों में लगाती हैं. देश उन्नति कर रहा है तो इसलिए कि पहले मुगलों ने और बाद में अंगरेजों ने देश को एक कर के एक बड़ा देश बना दिया जहां राज कानून का चलता था, शास्त्रों का
नहीं. कांग्रेस के राज में 30-40 साल संविधान के आदर व सम्मान से बीते पर वह पाखंड की ताकतों से लडऩे में कमजोर रहने लगी.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...