निचली और पिछड़ी जातियों के मुट्ठी भर लोगों का सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन से जगह पर जाना और राज में हाथ बंटाने की ताकत पर लेना ऊंची जातियों को बहुत खल रहा है. असल में भारतीय जनता पार्टी का एजेंडा न राम मंदिर है, न ङ्क्षहदू राष्ट्र है, उन का एजेंडा तो यह है कि गांवकस्बे की हर गली में निचली और पिछड़ी जातियों के लोग जाति की पायदान पर बैठे सब से ऊंचों की जूतियों के नीचे दबे रहें. रिजर्वेशन ने यह तोड़ा है.
1947 में आजादी के समय पक्का हो गया था कि कम से कम अछूत कही जाने वाली जातियों को तो 25 फीसदी रिजर्वेशन मिलेगा और यही संविधान में ठोकबजा कर काबिज कर दिया गया.
यह अफसोस की बात है कि आज 70 साल बाद भी निचली और पिछड़ी जातियों को गलियों में कोई भी ज्यादा ऊंची जगह नहीं मिल पाई है. अछूत आज भी ऊंचों के घरों में नहीं जाते, अछूतों व शूद्रों का सवर्णों में शादियां यदाकदा हो पाती हैं, रिजर्वेशन के बल पर जो सरकारी पद मिले के नाममात्र के हैं और उन में भी ज्यादातर ऐसे हैं जिन में काम न के बराबर है, दूसरी या तीसरी पीढ़ी के ही रिजर्वेशन वाले ऊंची जातियों के खेल को समझ पाते हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठों को एक्स्ट्रा रिजर्वेशन देने के नए कानून को खारिज कर दिया है और यह भी कह दिया है कि समाज अब काफी बदल चुका है और पिछड़ी व निचली जातियों ने काफी प्रगति कर ली है. यह कोरी गलतफहमी है. तकनीक की वजह से आज हर घर में बिजली आ गई है, फूस और बांस की जगह ईटों के पक्के मकान बन गए हैं पर इसे प्रगति नहीं कह सकते क्योंकि इस दौरान ऊंचों के घरों में संगमरमर लग गया है, एयरकंडीशनर लग गए हैं, बड़ी गाडिय़ां आ गई हैं.