प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेशों के दौरे जम कर कर रहे हैं. वे जहां भी जाते हैं वहां से करोड़ों अरबों का सामान खरीद कर लाते हैं. उन्होंने कहीं भारतीय व्यापारियों के लिए दरवाजे खोले, ऐसा नहीं लगता. नेपाल, जो भारत के व्यापारियों के लिए अच्छा बाजार था, मधेशी विवाद के कारण अब बंद हो गया है. यह जो सामान खरीदा जा रहा है, इस के लिए गरीब भारत को पैसा कहां से मिल रहा है? जब से भारत में नई सरकार बनी है, हमारा निर्यात कम होता जा रहा है. फिर भी अगर हमारे पास विदेशी मुद्रा का भंडार है तो हमारे मजदूरों के कारण, जो दुनियाभर में अपने परिवारों से दूर रह कर ठंडेगरम देशों में शरीर घिस रहे हैं और पैसा भेज रहे हैं. इस पैसे पर नरेंद्र मोदी हर जगह कुछ खरीद रहे हैं. देशी राजा भी, आजादी से पहले, जब भी विदेश जाते थे, भरभर कर सामान लाते थे जिस का भुगतान उन की गरीब जनता करती थी.

अभी रूस में मोदी ने हथियार खरीदे हैं और परमाणु संयंत्र भी. क्यों भई, अपने मेक इन इंडिया का क्या हुआ? उद्योगपति अनिल अंबानी और गौतम अदानी ऐसे दौरों पर बेचने नहीं, खरीदने जाते हैं. देश के मजदूरों से मिले पैसे का उपयोग देश की गरीबी को दूर करने के लिए किया जाना चाहिए पर ज्यादातर पैसा या तो हथियारों की खरीद में लग रहा है या विलासिता की चीजों पर. भारतीय मजदूर देश को हर साल 70 अरब रुपए देते हैं और बदले में उन्हें क्या मिलता है, यह किसी भी एअरपोर्ट पर उन के लौटने पर उन की तलाशी लेते हुए दिख जाएगा.

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