Hindu-Muslim : जो काम आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी ने हिंदूमुसलिम, हिंदूमुसलिम कर के भारत में मौजूद गरीब बंगलादेशियों के साथ किया वैसा अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप ने अपने अंधभक्तों के साथ मिल कर अमेरिका में दक्षिणी अमेरिका या कहीं और से बिना कानूनी रास्ते आए लोगों के साथ किया था. ट्रंप और मोदी की जीत के पीछे यह अलगाव की भावना बहुत ज्यादा कारगर रही है.
भारत अब बंगलादेश में आग झेल रहा है और वहां के हिंदुओं पर लगातार अत्याचार बढ़ रहे हैं. यही नहीं, अब पाकिस्तानी सैनिक अफसर ढाका लौटने लगे हैं जिन्हें इंदिरा गांधी ने सेना भेज कर 1971 में मुश्किल से बंगलादेश के इलाके से हटा कर पाकिस्तान के 2 टुकड़े कराए थे.
अब रिपब्लिकन पार्टी में मौजूद ऊंची जातियों के ब्राह्मण भारतीय मूल के नेताओं को बुराभला कहने वाले रिपब्लिकन मागा हैं. अमेरिका में डैमोक्रेटिक व रिपब्लिकन पार्टियों के भारतीय व अन्य लैटिनों व विदेशी मूल के सांसदों, विधायकों के खिलाफ मागा ग्रुपों ने जंग छेड़ दी है.
डोनाल्ड ट्रंप ने देशीविदेशी की आग जला कर जीत का जश्न तो मना लिया पर यह आग अब उन्हीं के अपने लोगों, जिन में एलन मस्क भी शामिल हैं जो अमेरिका से बाहर के हैं, को खाने लगी है. अमेरिका का तानाबाना उसी तरह कमजोर होने लगा है जैसे भारत का हुआ है. दोनों बड़ी लोकतांत्रिक शक्तियां अपने नेताओं के कारण आज संकट में हैं और यह संकट और बिगड़ेगा, सुधरेगा नहीं, क्योंकि इनफौर्मेशन टैक्नोलौजी के जरिए कट्टरपंथी झूठ, सफेद झूठ, कोरा झूठ बुरी तरह फैला रहे हैं.
यह वह आग है जो भारत में 1850 के बाद लगाई गई थी जिस में दयानंद सरस्वती भी शामिल थे और जिस का परिणाम 1947 में सामने आया. यही आग हिटलर ने यहूदियों के बारे में लगाई जिस का परिणाम पहले तो जरमनी की अविश्वसनीय जीत रही है लेकिन फिर बिलकुल विनाश रहा.
डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी की पार्टियों के पदचिह्नों पर दुनिया के बहुत से देशों की पार्टियां चल रही हैं जिन्हें अपने अलग रंग, भाषा, धर्म, जाति, मूल देश के पड़ोसी से बेबात की नाराजगी है. ये सब पार्टियां भूल रही हैं कि उन के देश की प्रगति में हजार जोखिम ले कर आए कुछ सस्ते मजदूर तो कुछ दक्ष होशियार लोगों का खास योगदान है. उन का देश वह न होता जो है. अब ये लोग नहीं आते.
अमेरिका में बिना कागजों के घुसे लोगों ने कारखानों में, औफिसों में, घरों में, खानों में, खेतों में मुश्किल काम सस्ते में किए जिस का फायदा पूरे अमेरिका ने उठाया. जरमनी की पहले विश्व युद्ध से पहले महानता वहां के यहूदी ही थे जिन्हें हिटलर ने थोक में मारा. भारत में बंगलादेशियों ने फटेहाल रह कर सस्ते में काम कर उत्पादन का खर्च घटाया.
जो भारतीय कागजों के सहारे अमेरिका पहुंचे, अब अपना गिरगिटी रंग बदल रहे हैं और अमेरिकियों का साथ देने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन मागा कट्टरवादी डोनाल्ड ट्रंप को भगवान नहीं मानते, सिर्फ जरिया मानते हैं अपना श्रेष्ठ रंग दिखाने के लिए.
रंगभेद करने वाले चर्चों के पिट्ठू ये गोरे अमेरिका को नष्ट कर दें, तो कोई बड़ी बात नहीं. अमेरिकी कल्चर आज नशेड़ी, निकम्मा हो गया है. वह उस महानता को अब नहीं पा सकता जिस का उसे दंभ है, बिना बाहरी लोगों के.