कांग्रेस ने अब मान लिया है कि गांधी परिवार का कोई पर्याय नहीं है और सोनियां गांधी तब तक अध्यक्ष रहेंगी जब तक वे पूरी तरह बीमार नहीं पड़तीं. यह भारतीय जनता पार्टी के लिए बुरी खबर है क्योंकि बड़ी मेहनत से उस ने 8-10 सालों में राहुल गांधी की एक नितांत बचकाने, बेवकूफ, बुद्धू नेता की तसवीर बनाई थी और बात की खाल निकाल कर भाजपाइयों ने उन पर आक्रमण किया था यह सोच कर कि कैंसर पीड़ित सोनिया तो आज गईं कल गईं.

कांग्रेस का वजूद आज भी भाजपा को डराता है. उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी ने लखीमपुर खीरी आंदोलन में जो तेवर दिखाए और जिस प्रकार वे केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा को गिरफ्तार करवा कर ही मानीं, उस से यह साफ हो गया है कि मोदी के मुकाबले भीड़ जुटाने में गांधी परिवार आज भी सक्षम है. भारतीय जनता पार्टी काफी कोशिश कर रही है कि कांग्रेस में विभीषण पैदा हो जाएं, सुग्रीव मिल जाए तो अपने भाई को ही मरवा डाले, परशुराम सा पुत्र मिल जाए जो मां को भी न छोड़े, सिंधिया परिवार जैसे मिल जाएं जिन में एक का पैर कांग्रेस में हो और दूसरे का पैर भाजपा में. भाजपा को काफी सफलता भी मिली है, इस से इनकार नहीं, पर उस के बावजूद कांग्रेस टूटफूट कर दलितों की रिपब्लिकन पार्टी की तरह बिखर नहीं पा रही और ऊंची जातियों के जमघट यानी जी-23 की मुखरता बेकार चली गर्ई है.

कांग्रेस फिर भाजपा के खिलाफ खड़ी हो पाएगी, इस में संदेह है क्योंकि धार्मिक कट्टरता का जो फायदा 1947 से पहले और बाद में कांग्रेस अपने चुने नेताओं से छिपे तौर पर लेती थी, अब वह कुंद हो गई है क्योंकि वे सब नेता भाजपा में ही जा कर बैठ गए हैं चाहे उन्हें सिर्फ मूर्तियों के पैर रातदिन धोने में लगा भर दिया गया हो. कांग्रेस अब कट्टर ऊंचों की हिंदू पार्टी का गुप्त हथियार इस्तेमाल नहीं कर सकती क्योंकि इसे आज भाजपा खुल्लमखुल्ला कर रही है. किसी भी राजनीतिक दल की सफलता में उस का थिंक टैंक होता है. उस में अपनी बात कहने की कला और एक ही संदेश को बारबार अलगअलग शब्दों में दोहराने की क्षमता होती है. भाजपा का थिंक टैंक बहुत मजबूत है. उस के पास सारा बिका हुआ मीडिया भी है. मंदिरोंमठों पर उस का एकाधिकार है जहां से पार्टी अपने आघोषित कार्यालय चला सकती है. कांग्रेस इस भारीभरकम मशीनरी का इंतजाम नहीं कर सकती पर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने इस मशीनरी को हरा दिया, उस से राजनीतिक दृश्य बदल सा गया है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...