अफ्रीका के कुछ देशों को छोड़ दें तो भारत की आम जनता की हालत दुनिया में सब से बुरी है जबकि दुनिया के 100 सब से अमीरों में भारत के कितने ही गुजराती उद्योगपति हैं, वही गुजरात, जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह आते हैं. भूखों की गिनती में एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने भारत को 122 में से 107वां स्थान दिया है क्योंकि यहां सारा पैसा कुछ ही हाथों में जा रहा है.

यह वह देश है जो ठीकठीक अपना खाना उगा लेता है. यह अनाज का निर्यात भी करता है. यह कम से कम 22 करोड़ भूखे लोगों को पालता है, सरकारी आंकड़ों के हिसाब से 80 करोड़ को खाने का अनाज देता है. सो, पक्का है कि देश का प्रबंध खराब ही नहीं, बेहद खराब है और इस की जिम्मेदारी उन पर नहीं जिन्होंने 60 साल राज किया, उन पर है जो पिछले 8 सालों से राज कर रहे हैं क्योंकि ये लोग अच्छे दिनों का वादा कर के सत्ता में आए. पिछली सरकार निकम्मी थी, इसीलिए तो जनता ने उसे वोट के जरिए बाहर किया.

मौजूदा सत्ताधारी, पढ़ेलिखे, नौकरीपेशा, अमीर देश के भूखों के बारे में सोचते ही नहीं हैं. उन के लिए ये भूखे तो देश की गायों की तरह हैं जिन के नाम पर होहल्ला मचाया जाता है पर जैसे ही वे दूध देना बंद कर दें, उन्हें सडक़ों पर तिलतिल कर मरने दिया जा रहा है. इस देश के 20 करोड़ या 80 करोड़ लोग, जितने भी, अगर रात को भूखे सो रहे हैं तो सत्ता में बैठे किसी नेता, नौकरशाह, जज, सिविल सोसायटी एक्टिविस्ट या इकोनौमिस्ट को रात में नींद नहीं आनी चाहिए.

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