महाराष्ट्र के कई शहरों में काफी तनावपूर्ण दंगे हुए हैं और उत्तराखंड में मुसलिमों के घर व दुकान छोड़ कर जाने के इश्तिहार लगाए गए हैं. जैसा कि होता है, पुलिस दोनों राज्यों में अगर किसी को गिरफ्तार करेगी तो उन मुसलिमों को करेगी जो भाजपाइयों की अलगाव की बातों को फैलाने का विरोध कर रहे हैं.

हिंदू मुस्लिम कार्ड देश में अच्छा काम कर रहा है और सरकार ओडिशा के बालासार की रेल दुर्घटना हो, महंगाई हो, बेरोजारी हो, मणिपुर के हिंसक दंगे हो, साफ हिंदूहिंदूहिंदू कवच से बच निकलती है. इस साल होने वाले कुछ राज्य के चुनावों और 2024 के आम चुनावों में हिंदू कवच भाजपा को बचा ले जाएगा, इस का नरेंद्र मोदी को पूरा भरोसा है.

हिंदू मुस्लिम विवाद अपनेआप नहीं हो रहा है. यह खड़ा किया जा रहा है. पिछले 30 सालों से भारत का मुसलिम चुप रह कर जीना सीख गया है जैसे आम हिंदू ब्रिटिशकाल में जीना सीख गया था. गांधी जैसे सिरफिरों ने छिटपुट की थी पर वह इतनी गंभीर नहीं थी कि अंगरेजों को भारत छोड़ कर भागना पड़े. अंगरेजों ने भारत को छोड़ा, इस के बहुत से कारण थे, जिन में एक अमेरिकी दबाव था तो दूसरा, नई तकनीक व विज्ञान, जिस की वजह से भारतीय को गुलाम रखना निरर्थक हो रहा था.

हिंदू मुस्लिम विवाद खड़े कर के मुसलमानों को अगर भयभीत किया भी जा सकता है तो भी हिंदुओं को कोई लाभ नहीं होगा, इस में कोई संदेह नहीं है. मुसलमान आमतौर पर गरीब हैं और छोटेछोटे काम करते हैं. वे जमीनें कब की बेच चुके हैं और दड़बेनुमा मकानों की कालोनियों में दुबके रहते हैं. वे दलितों और पिछड़ों की तरह न नौकरियों में हिस्सा मांग रहे हैं और न ही शिक्षा संस्थानों में. वे तो नई मसजिदों को भी नहीं मांग रहे. इस के उलट, हिंदू मुस्लिम विवाद हिंदुओं को महंगा पड़ रहा है. हिंदू ट्रोल आर्मी हिंदुओं में यह फैला रही है कि एक हिंदू डरता है कि मुसलिम महल्ले में वह काम करे या न करे. मुसलिम दोस्त नहीं बन सकते. हिंदूमुस्लिम प्रेम को लवजिहाद का नाम दे दिया जाता है.

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