आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल ने अपने 3 दिन के दौरे में गुजरात के झूठे विकास के प्रचार की पोलपट्टी खोल कर नरेंद्र मोदी के मुंह पर कस कर प्रहार किया है. नरेंद्र मोदी जो गुजरात विकास का नारा लगा रहे थे, उस की जांच आमतौर पर कोई नहीं कर रहा था पर टीवी कैमरामैनों के साथ चल रहे अरविंद केजरीवाल उन्हीं जगहों पर गए जहां विकास नहीं हुआ और इस तरह उन्होंने गुजरात की दूसरी छवि पेश कर दी.
ऊपर से उन्होंने नरेंद्र मोदी का आत्मविश्वास भी डिगा दिया जब वे यह कह कर उन से मिलने चल पड़े कि वे16 सवाल पूछने जा रहे हैं. अपने मन की करने वाले गुजरात के मुख्यमंत्री समझ ही नहीं पाए कि ऐसे मौके पर क्या करें और बजाय गुजरात की कटिंग चाय भी पिलाने के, उन्होंने 5 किलोमीटर पहले अरविंद केजरीवाल को पुलिस द्वारा रुकवा कर अपनी कमजोरी जाहिर कर दी.
अरविंद केजरीवल ने गुजरात दौरे के दौरान बिना पूर्व निश्चित कार्यक्रमके नरेंद्र मोदी से मिलने और उन से 16 सवाल पूछने की इच्छा प्रकट कर चाहे नाटक ही किया पर यह काम का कदम था जिस ने नरेंद्र मोदी के व्यवहार पर से परदा उठा दिया. बात यह नहीं कि अरविंद केजरीवाल कितने साफ और सक्षम और नरेंद्र मोदी कितने कुशल प्रशासक हैं, बात सिर्फ इतनी है कि नरेंद्र मोदी की व्यवहारकुशलता कैसी है.
एक पूर्व मुख्यमंत्री अगर अपनी ओर से मिलने की पेशकश करे, वह भी उस जने से जिस के दरवाजे खुले होने चाहिए और जो मौजूद भी हो तो उस मुख्यमंत्री को मिलने से तो इनकार नहीं करना चाहिए. वह मिल कर क्या बात करे क्या नहीं, यह दूसरी बात. नरेंद्र मोदी अगर राज्य के कामकाज में इतने व्यस्त होते तो वे सारे देश में कैसे घूमते फिर रहे हैं, कैसे पार्टी की दिल्ली के अशोक रोड की मीटिंगों में भाग ले रहे हैं?
अरविंद केजरीवाल छापामार राजनीति कर रहे हैं और विरोधियों के मर्मस्थल पर वार कर रहे हैं. लोग उन्हें विदेशी मामलों, रक्षा नीति, कश्मीर के प्रश्न, राज्यों के पुनर्गठन के मामलों में उलझाना चाहते हैं पर वे इन से बच कर अदानी, अंबानी व रौबर्ट वाड्रा के मामले दोहरा रहे हैं जो भारतीय जनता पार्टी और कांगे्रस के कमजोर पहलू हैं.
यह नीति कितने वोट दिला पाएगी, इस का अंदाजा तो आज नहीं लगाया जा सकता पर उन्होंने नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी दोनों को सुर्खियों से ढकेल तो दिया ही है. अब जो दिख रहा है, वह जीत रहा है, ऐसा होता है या नहीं, मई में पता चलेगा.
नरेंद्र मोदी के 10 सालों में बनाए गए कानूनों की सूची देखें तो साफ हो जाता है कि सिवा पंडितों के लिए विश्वविद्यालय जैसे शरणालय खोलने के अलावा उन्होंने कुछ खास नहीं किया. आजकल साल भर से वे गुजरात सरकार के पैसों से भारतीय जनता पार्टी का प्रचार कर रहे हैं और गुजरात पुलिस
उन की सुरक्षा में लगी है. गुजरात के मुख्यमंत्री का काम दूसरे राज्यों में प्रचार करना तो है नहीं. अरविंद केजरीवाल ने तो जब वे दिल्ली के मुख्यमंत्री थे तब तामझाम नहीं लिया पर उन के लिए गुजरात में गुजरात पुलिस ने ‘पुलिस साया’ जरूर पहुंचा दिया. अरविंद केजरीवाल ने गुजरात यात्रा के बाद अपना जो पक्ष बताया वह चाहे एकतरफा हो, गलत नहीं है.
दरअसल, हर उद्योग और उन्नति के पीछे कहीं कचरा छूट ही जाता है. कुशल प्रशासक वह होता है जो उद्योग और उन्नति के ढोल उतने पीटे कि लोगों को कचरे की याद न आए. पर जब आप रोज विकास की बात करेंगे और कहीं भी चूक हो गई तो उसी की बात की जाएगी, जैसे आम आदमी अरविंद केजरीवाल की मर्सिडीज गाड़ी में यात्रा करना, प्राइवेट जैट में दिल्ली आना. कथनी और करनी में बड़ा फर्क है पर अब तक गुजरात के नरेंद्र मोदी की इस करनी के फर्क पर उंगली उठाने की किसी की हिम्मत नहीं हुई थी. अरविंद केजरीवाल ने यह हिम्मत कर मोदी के फूलते गुब्बारे की हवा कम कर दी है.