आज जनता आमतौर पर तर्क और तथ्य से कतराती है और आस्था और निष्ठा की बात करती है क्योंकि उस में न सोचविचार करना होता है न फैसलों की जिम्मेदारी लेनी होती है. बात घर की हो या घर के बाहर की, औसत जना किसी ऐसे को पकड़ लेता है जिस की बात को वह आंख और दिमाग बंद कर के स्वीकार कर सके.

घरों में यदि कोई बुजुर्ग है तो वह इस पदवी को ले लेता है. हम तो ऐसा ही करेंगे क्योंकि बाबूजी ने कह दिया, ताऊजी ने कह दिया, दादाजी ने कह दिया. कई घरों में पत्नी इस पदवी को जबरन, चीखपुकार कर के व रोधो कर हथिया लेती है. जी, पत्नी नहीं मानती, पत्नी का दिल रखना है न, घरवाली का कहना है. इन्हीं सब से तर्क और तथ्य को नाली में बहा दिया जाता है.

राजनीति में तो आजकल यह जोरों से चल रहा है. एक बड़ा वर्ग तर्क और तथ्य को भुला कर नरेंद्र मोदी को अपना आदर्श मानने पर अड़ा है. हिंदुत्व की जगह गुजरात मौडल औफ डैवलपमैंट का नारा स्वीकार कर लिया गया है. नरेंद्र मोदी कह दें कि सिकंदर पटना में आया था तो सच ही होगा. वहीं, कुछ पुराने लोग स्वार्थों के चलते सोनिया गांधी के वाक्यों को सत्यवचन मान लेते हैं. बाकी लोगों ने अपनेअपने गुरु पकड़ रखे हैं.

नए दल आमतौर पर तर्क और तथ्य पर चलते हैं क्योंकि उन की बातों पर आस्था और निष्ठा की काई जमने में देर लगती है. आम आदमी पार्टी शुरुआती दौर से गुजर रही है. उसे तर्क और तथ्य पर परखा जा रहा है. उस की एकएक बात पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

यह अच्छी बात है पर यही फार्मूला सभी दलों पर लागू होना चाहिए. कांगे्रस और भाजपा ही नहीं, बसपा, सपा, राजद, जदयू आदि सभी दलों को भी बख्श दिया गया है और उन के कामों की समीक्षा नहीं की जा रही.

दरअसल, यह धर्म की देन है. धर्म सिखाता है कि आस्था और निष्ठा को अपनाओ, धर्म व धर्मगुरु की जांच तर्क और तथ्य स्तर पर मत करो. धर्म के तथ्य कुछ भी कहते रहें, आप की आस्था बनी रहे. तभी तो वैंडी डौनिगर की पुस्तक ‘द हिंदूज’ के खिलाफ 4 लोग अदालत पहुंच गए यानी तर्क और तथ्य को रिजैक्ट कर दिया गया जबकि किसी धर्मग्रंथ को खंगाल लें, ‘द हिंदूज’ उस के सामने सिर्फ प्रतिच्छाया लगेगी. पर धर्म में तर्क और तथ्य का स्थान है कहां?

अंधविश्वासों के कारण ही इस देश की सामाजिक ही नहीं राजनीतिक दुर्दशा हो रही है. हमारी आस्था है सड़ेगले धर्म में, सड़ीगली पार्टियों में और सलीगड़ी कू्रर आततायी सरकार में.

आधुनिक विकास की पहली सीढ़ी है तर्क और तथ्य. सुखी परिवार तर्क और तथ्य पर समृद्ध होते हैं. प्रकृति तर्क और तथ्य पर चलती है, तभी तो नियत समय पर सवेरा होता है.

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