हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान दिल्ली चंडीगढ़ रास्ते से गुजर रही गाडि़यों को रोक कर उन्हें जलाया ही नहीं गया, औरतों के साथ जबरन बलात्कार के मामले भी हुए. हालांकि इन बलात्कारों की पुलिस में शिकायत नहीं हुई, क्योंकि ये औरतें उन घरों से थीं, जो अपना नाम अखबारों में उछलवाना नहीं चाहते. वैसे भी बलात्कार के गुनाहगार कब पुलिस व कानून के आगे झुकते हैं? अगर गांवगांव, कसबेकसबे में बलात्कार हो रहे हैं, तो इस की वजह यही है कि बलात्कारी जानता है कि उस का कुछ बिगड़ेगा नहीं, क्योंकि बिगड़ेगा तो औरत भी बदनाम होगी. समाज ने ऐसा कानून बना रखा है कि बलात्कारी से ज्यादा उस औरत को गुनाहगार माना जाता है, जो शिकार हुई हो. बलात्कारी तो अपनों में शेर का बच्चा माना जाता है. यह मामला ऐसा है, जैसे काला धन रखने वाले कई बार चोरी होने पर शिकायत नहीं करते, क्योंकि वे साबित कैसे करेंगे कि उन के पास वह कमाई आई कहां से.

आयकर कानून और बलात्कार पर सामाजिक सोच एक तरह की सी है और इस से देश ही नहीं, पूरी दुनिया परेशान है. हमारे यहां गांवकसबे में यह कुछ ज्यादा है, क्योंकि हमारे यहां औरतों की कानूनी हालत वैसी ही है, जैसी सेठों के पास रखे काले धन की होती है. अभी हाल तक जब धन कालासफेद नहीं होता था, तब हर पैसे की वही हालत थी. उसे छिपा कर रखो, वरना कोई ले उड़ेगा. कानून और व्यवस्था ने पैसे को तो काफी बचा लिया है, पर औरतों की इज्जत को नहीं और हर जना इसे तारतार करने में लगा रहता है. सैक्स को इस तरह काले अंधेरे में डाल दिया है. औरत की इज्जत ऐसी हो गई है कि जब मरजी छीन लो.

इस का नुकसान हरेक को होता है. बलात्कार का भी नशा हो जाता है. एक बार वह इस का घूंट चखने के बाद और चाहता है. कभी बाजारू औरतों के पास जाता?है, कभी अनजानी औरतों से छेड़खानी करता है, तो कभी घर वालियों को भी नहीं बख्शता. यह जबरदस्ती हर औरत को हर समय डर के साए में रहने को मजबूर कर देती है. बलात्कार करने वाले अपने घरों की औरतों के बलात्कार का दरवाजा भी खोल देते हैं. जब मालूम हो कि पति या भाई ने किसी जानीअनजानी का बलात्कार किया था, तो वह किस मुंह से घर में उन्हीं से अपनों को बचाएगा, जो इस राज को जानते हैं. आमतौर पर मांबहन की जो गालियां दी जाती हैं, वे जबान पर चढ़ी ही इसलिए हैं.

जिन दंगाइयों ने हरियाणा में बेगुनाहों को रौंदा था, उन्होंने पूरे राज्य को बदनाम कर दिया है. अब हरियाणा में से गुजरने वाला हर परिवार डरता रहेगा कि न जाने कौन कब किस कोने से आ जाए और आंदोलन हो या न हो उस की औरतों को दबोच ले. वैसे ही हरियाणा में औरतें कम मिलती हैं. अब हरियाणा के मर्दों पर बलात्कारी होने का ठप्पा और लग गया है. वहां बेटी को देने का मतलब है उसे पति की सुरक्षा नहीं देना, भेडि़यों के बीच छोड़ना. पति भी भेडि़या हो, कौन जाने.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...