स्मृति ईरानी ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और हैदराबाद विश्वविद्यालय में छात्रों के विरोधों का जो जवाब लोक सभा व राज्य सभा में दिया वह तर्कों, कुतर्कों, सत्य, अर्धसत्य और चुनिंदा तथ्यों से भरा था पर मानने की बात है कि वह साबित करता है कि टीवी स्क्रीन ने उन्हें काफी कुछ सिखा दिया है. अब वे धाराप्रवाह बोल सकती हैं और उन की मुद्राएं तो उन के मुंह से भी कुछ ज्यादा ही कहती हैं. कहते हैं कि इटैलियन भाषा केवल मुंह से ही नहीं बोली जाती हाथों, आंखों व शरीर से भी बोली जाती है. अगर किसी इटैलियन से बात करो तो उस के हाथ, पैर, गरदन यानी पूरा शरीर भी भाषा की तरह चलेगा और इटैलियन सोनिया गांधी की पार्टी के सवालों के उत्तर देने में स्मृति ईरानी ने यह कला पूरी तरह अपनाई.

स्मृति ईरानी ने जोश से अपनी बात रखी पर छात्रों का संघर्ष और दलितों के साथ बढ़ता दुर्व्यवहार केवल बातों से दूर न होगा. घरों में सब्जी क्यों जली, मुन्ना क्यों फेल हुआ, बेटी देर से घर क्यों आई उस के लिए आधपौन घंटे का वाक्प्रहार समस्या को हल न करेगा. समस्या तो ठोस कदम उठाने से दूर होगी और घरों में विवाद इसीलिए पलते रहते हैं कि उन्हें बातों से ही हल करने की कोशिश रहती है. देश में दलितों के साथ दुर्व्यवहार सदियों से हो रहा है. सदियों से तो वे यही सोचते रहे कि यह उन के भाग्य में ही लिखा है, पिछले जन्म का फल है. ऐसा ही औरतें भी सोचती थीं. ज्यादातर औरतें सदियों तक सामाजिक प्रताड़ना का शिकार रही हैं. विधवा होना, बांझ होना, केवल बेटियों की मां होना, पति का दूसरी औरतों के पास जाना, पति व बच्चों का बिगड़ना सब का दोष औरतों पर मढ़ दिया जाता है कि वे गरीब हैं, अंधविश्वासी हैं, तिरस्कृत हैं तो गलती उन्हीं की है.

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